रोजगार, विकास और बाजार तीनों के मोर्च पर इंडियन इकोनॉमी संकट में है. बाजार के दिग्गजों से लेकर भारत सरकार के रणनीतिकारों को भी यह चिंता सताए जा रही है. इसके बाद भी देश की लग्जरी हाऊसिंग का बाजार लगता चढ़ता जा रहा है. इतना अधिक चढ़ रहा है कि कारोबारी पंडित भी हैरान हैं. ग्लोबल फैक्टर में अनिश्चितता के बाद भी इस लग्जरी हाउसिंग की मांग में उछाल सिर्फ़ प्रॉपर्टी के मालिकाना हक के बारे में नहीं है, बल्कि लाइफस्टाइल को फिर से डिफाइन करने के बारे में है.
CBRE साउथ एशिया के इंडिया मार्केट मॉनिटर Q3 2024 – रेजिडेंशियल के अनुसार, जनवरी से सितंबर 2024 के बीच 4 करोड़ रुपये से ज़्यादा कीमत वाले घरों की बिक्री में सालाना आधार पर 37.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई. दिल्ली-एनसीआर इस श्रेणी में सबसे आगे रहा, जहां 5,855 यूनिट बिकीं. इसके बाद मुंबई में 3,820 यूनिट बिकीं.
एनआरआई फैक्टर भी है इस कमाल के पीछे
लग्जरी हाऊसिंग मार्केट में इस तेजी के पीछे एनआरआई का प्रीमियम प्रॉपर्टी पर नजर होना भी है. 2024 की पहली छमाही में भारत में आश्चर्यजनक रूप से 1,73,241 घरों की बिक्री हुई. इससे भी दिलचस्प बात ये है कि उनमें 41 फीसदी घर एक करोड़ रुपए से अधिक कीमत के थे. इससे यह साफ होता है कि प्रीमियम रहन-सहन का चलन बढ़ रहा है, लेकिन इस बदलाव का कारण क्या है?
कोरोना ने घरों के प्रति नजरिए पर काफी बड़ा प्रभाव डाला है. लॉकडाउन और रिमोट वर्क के बढ़ने से लोगों ने अपने घरों की तरफ दोबारा ध्यान देना शुरू किया है. इससे अचानक ही ज्यादा जगह की मांग और उच्च गुणवत्ता वाली सुविधाओं को पाना सिर्फ लक्ज़री नहीं, बल्कि जरूरत बन गई है. नजरिए में आया बदलाव लक्ज़री घरों की बढ़ती मांग में तेजी ला रहा है,
मुंबई है लग्जरी हाऊसिंग का सेंटर
मुंबई अल्ट्रा-लक्जरी हाउसिंग का केंद्र-बिंदु बना हुआ है, जहां 2024 में भारत भर में 25 सबसे महंगी प्रॉपर्टी डील में से 21 हुई, जिनकी कुल कीमत 2,200 करोड़ रुपये है. शहर में डेवलपर्स ऐसी परियोजनाएं शुरू कर रहे हैं जो आधुनिक डिजाइन को सांस्कृतिक विरासत के साथ मिलाती हैं, जो इलीट क्लास के खरीदारों को ध्यान में रखकर बनाई गई हैं.
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