Shinde vs Fadnavis: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बीच सब कुछ ठीक नहीं है. इस बात का अंदाजा फडणवीस सरकार के एक हालिया फैसले से लगाया जा सकता है. दरअसल, फडणवीस ने सोमवार (17 फरवरी) को एकनाथ शिंदे गुट की शिवसेना के 20 विधायकों की सुरक्षा में भारी कटौती कर दी. इन नेताओं को पहले Y+ सिक्योरिटी दी गई थी लेकिन अब इसे घटाकर महज एक कांस्टेबल तक सीमित कर दिया गया है.
हालांकि, सीएम फडणवीस ने बैलेंस के तौर पर कुछ भाजपा और अजीत पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी नेताओं को प्रदान की गई सुरक्षा भी वापस ली है लेकिन इनकी संख्या शिंदे के विधायकों के मुकाबले बहुत कम हैं. बता दें महाराष्ट्र सरकार में गृह विभाग मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने अपने पास ही रखा हुआ है.
फडणवीस और शिंद के बीच यह तकरार नई नहीं है. महाराष्ट्र में चुनाव नतीजे आने के बाद से ही दोनों नेताओं में मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर मनमुटाव दिखने लगे थे. इसके बाद से कई मौकों पर यह तकरार बढ़ती नजर आई है.
शिंदे की अलग बैठक
सोमवार के दिन ही फडणवीस के इस एक्शन से पहले एक और घटना हुई थी. एकनाथ शिंदे ने उद्योग विभाग की समीक्षा बैठक की, जबकि फडणवीस जनवरी में ही इस डिपार्टमेंट की बैठक ले चुके हैं. यह विभाग शिंदे गुट के नेता उदय सामंत के पास है. उदय सामंत ने पिछले दिनों एक लेटर में कहा था कि विभाग के अधिकारी उन्हें प्रमुख नीतियों के बारे में जानकारी नहीं दे रहे. यही कारण था कि डिप्टी सीएम शिंदे ने दोबारा बैठक ली.
कुंभ मेले के लिए बैठक से नदारद थे शिंदे
पिछले महीने, शिंदे ने 2027 में कुंभ मेले की तैयारियों पर फडणवीस द्वारा बुलाई गई नासिक महानगर क्षेत्रीय विकास प्राधिकरण की बैठक में भाग नहीं लिया था और बाद में इस विषय पर अपनी अलग समीक्षा बैठक की थी. हाल ही में, शिंदे ने मंत्रालय में उपमुख्यमंत्री चिकित्सा सहायता प्रकोष्ठ की स्थापना की और अपने करीबी सहयोगी को इसका प्रमुख नियुक्त किया. यह पहली बार था जब किसी उपमुख्यमंत्री ने मुख्यमंत्री राहत प्रकोष्ठ के अस्तित्व में होने के बावजूद ऐसा अन्य प्रकोष्ठ स्थापित किया.
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