यूपीएससी ने पिछले दिनों सिविल सर्विस परीक्षा का रिजल्ट जारी किया. हर साल UPSC की परीक्षा में बड़ी संख्या में कैंडिडेट्स शामिल होते हैं. लेकिन कुछ ही उम्मीदवार इसमें पास हो पाते हैं. आज हम आपको एक ऐसी ही कहानी बताने जा रहे हैं, जिसमें भेड़ पालक समुदाय से अन्य वाले अभ्यर्थी ने इस परीक्षा को पास किया.
ये कहानी है कर्नाटक के ननवाड़ी गांव के रहने वाले बीरप्पा डोणी की. यह सिर्फ एक युवक की सफलता नहीं, बल्कि एक पूरे समुदाय की उम्मीद और संघर्ष की जीत है. भेड़ों के साथ जीवन बिताने वाले इस साधारण युवक ने UPSC CSE 2024 में 551वीं रैंक हासिल कर यह साबित कर दिया कि हालात चाहे जैसे भी हों, अगर इरादे मजबूत हों तो मंजिल दूर नहीं.
चरागाह से आई खुशखबरी
मूल रूप से महाराष्ट्र के अमागे गांव के निवासी बीरप्पा छुट्टियों में बेलगावी जिले के ननवाड़ी गांव स्थित अपने रिश्तेदारों के पास आए हुए थे. 23 अप्रैल 2025 को जब उनके परिवार को यह सूचना मिली कि बीरप्पा ने UPSC में 551वीं रैंक हासिल की है, तो गांव में मानो उत्सव का माहौल बन गया. जिस चरागाह पर रोज भेड़ें चराई जाती थीं, उसी जगह पर फूल-मालाओं, ढोल-नगाड़ों और पारंपरिक लोकगीतों के साथ सफलता का जश्न मनाया गया.
सेना से लेकर सिविल सेवा तक का सफर
बीरप्पा का सपना था कि वे सेना में अधिकारी बनें, जैसे उनके बड़े भाई भारतीय सेना में कार्यरत हैं. बीटेक करने के बाद उन्होंने इंडिया पोस्ट में नौकरी शुरू की, लेकिन उनका दिल हमेशा बड़े सपनों की ओर खींचता रहा.
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आईपीएस बनने का सपना
कुछ वर्षों बाद उन्होंने नौकरी छोड़ दी और UPSC की तैयारी में लग गए. यह उनका तीसरा प्रयास था और इस बार उन्होंने सफलता की ऊंची उड़ान भरी. उनकी ख्वाहिश है कि उन्हें भारतीय पुलिस सेवा (IPS) में मौका मिले, ताकि वे समाज की सेवा कर सकें.
मेरा बेटा मेहनती है…
बीरप्पा के पिता सिद्धप्पा डोणी का कहना है कि उन्हें एग्जाम के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं, लेकिन मुझे भरोसा था कि मेरा बेटा कुछ बड़ा करेगा.
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