<p data-start="61" data-end="375">अगर आपने कभी कोर्ट से जुड़ी खबरें पढ़ी या सुनी हैं, तो "बेंच" और "बार" जैसे शब्दों का जिक्र जरूर आया होगा. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन दोनों का मतलब क्या होता है और इनमें क्या अंतर है? कई लोग इन शब्दों को एक ही समझ लेते हैं, जबकि ये दोनों कोर्ट से जुड़े अलग-अलग अहम हिस्से हैं. आइए इसे आसान भाषा में समझते हैं.</p>
<h3 data-start="377" data-end="405"><strong data-start="381" data-end="403">बेंच क्या होता है?</strong></h3>
<p data-start="406" data-end="592">सीधे शब्दों में कहें तो <strong data-start="430" data-end="440">"बेंच"</strong> का मतलब जजों से होता है. जब हम कोर्ट में बेंच की बात करते हैं, तो इसका मतलब वहां के न्यायाधीश यानी जज होते हैं जो मामलों की सुनवाई और फैसले देते हैं.</p>
<p data-start="594" data-end="759">कोर्ट में कई बार आपने सुना होगा कि "डबल बेंच" या "फुल बेंच" ने फैसला सुनाया. इसका मतलब यह होता है कि उस केस की सुनवाई करने के लिए कितने जज शामिल थे. उदाहरण के लिए:</p>
<ul data-start="761" data-end="1103">
<li data-start="761" data-end="816"><strong data-start="763" data-end="777">सिंगल बेंच</strong> – अगर कोई मामला एक ही जज सुन रहा है.</li>
<li data-start="817" data-end="884"><strong data-start="819" data-end="834">डिवीजन बेंच</strong> – जब किसी मामले की सुनवाई दो जज मिलकर करते हैं.</li>
<li data-start="885" data-end="977"><strong data-start="887" data-end="899">फुल बेंच</strong> – जब एक बड़े और गंभीर मामले की सुनवाई के लिए तीन या अधिक जज शामिल होते हैं.</li>
<li data-start="978" data-end="1103"><strong data-start="980" data-end="1003">कॉनस्टिट्यूशनल बेंच</strong> – जब सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट में पांच या उससे अधिक जज किसी संवैधानिक मुद्दे पर सुनवाई करते हैं.</li>
</ul>
<p data-start="1105" data-end="1228">बेंच का काम न्याय करना होता है. जज कानूनी पहलुओं को देखकर, सबूतों की जांच कर और वकीलों की दलीलों को सुनकर फैसला देते हैं.</p>
<h3 data-start="1230" data-end="1257"><strong data-start="1234" data-end="1255">बार क्या होता है?</strong></h3>
<p data-start="1258" data-end="1447">अब बात करते हैं "बार" की. बार का मतलब होता है वकीलों (Lawyers) का समूह. यानी जो लोग कोर्ट में जाकर अपने मुवक्किल (Clients) की तरफ से मुकदमा लड़ते हैं, वे "बार" का हिस्सा होते हैं.</p>
<p data-start="1449" data-end="1676">देश में बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) नाम की संस्था होती है, जो वकीलों के नियम-कानून तय करती है. हर राज्य में भी एक "स्टेट बार काउंसिल" होती है, जहां वकीलों का रजिस्ट्रेशन होता है और उन्हें वकालत करने की अनुमति दी जाती है.</p>
<h3 data-start="2179" data-end="2225"><strong data-start="2183" data-end="2223">बेंच और बार का संबंध क्यों जरूरी है?</strong></h3>
<p data-start="2226" data-end="2496">कोर्ट में न्याय प्रक्रिया को सही ढंग से चलाने के लिए बेंच और बार दोनों की जरूरत होती है. अगर वकील (बार) अच्छे से अपनी दलीलें पेश करेंगे, तो जज (बेंच) सही फैसला देने में सक्षम होंगे. दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं और न्याय व्यवस्था को मजबूत बनाने में अहम भूमिका निभाते हैं.</p>
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बेंच और बार में क्या अंतर है? जानिए आसान भाषा में, पढ़कर रह जाएंगे हैरान!
