‘अगर पाकिस्तान ने उकसाया तो लिया जाएगा सख्त एक्शन’, ऑपरेशन सिंदूर पर क्या बोले शशि थरूर?

‘अगर पाकिस्तान ने उकसाया तो लिया जाएगा सख्त एक्शन’, ऑपरेशन सिंदूर पर क्या बोले शशि थरूर?


Shashi Tharoor on Operation Sindoor: कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने शनिवार को कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद कूटनीतिक प्रयासों के दौरान अन्य देशों को स्पष्ट रूप से बताया गया था कि यदि उकसावे की कोई और कार्रवाई की गई तो भारत फिर कदम उठाएगा.

थरूर ने यहां एक परिचर्चा में यह भी कहा कि आपातकाल की 50वीं बरसी पर राजनीतिज्ञों को राजनीतिक फायदा उठाने के बजाय संविधान और हमारे संस्थापकों के मूल्यों के प्रति स्वयं को नए सिरे से समर्पित करना चाहिए.

शशि थरूर ने अहमदाबाद प्रबंधन संघ में एक चर्चा के दौरान कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद अन्य देशों का दौरा करने वाले भारतीय प्रतिनिधिमंडल अपने मेजबानों को यह बताने में कामयाब रहे कि भारत ने संयम और जिम्मेदारी के साथ काम किया. उन्होंने कहा कि यहां तक ​​कि कोलंबिया ने भी पाकिस्तान में मारे गए लोगों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए एक बयान जारी किया था, लेकिन बाद में उसे वापस ले लिया गया.

हमारी कूटनीति सफल रही: शशि थरूर

कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘अन्य स्थानों पर, हम वास्तव में बहुत उच्च पदस्थ कुछ लोगों से यह कहलवाने में सफल रहे कि वे न केवल भारत के आत्मरक्षा के अधिकार का सम्मान करते हैं और उसका समर्थन करते हैं, बल्कि उन्होंने वास्तव में हमारे संयमित तरीके से जवाब देने की सराहना की.’’

उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन मैं आमतौर पर यह संदेश देकर समाप्त करता हूं कि उन्हें इस बात से आश्चर्यचकित नहीं होना चाहिए कि यदि यह (आतंकवादी हमला) दोबारा हुआ, तो हम फिर से कार्रवाई करेंगे और हम चाहते हैं कि वे पहले से ही इस बारे में समझ लें. और मेरा मानना ​​है कि हमने अपनी भावनाओं और इरादों के बारे में सभी को कोई संदेह नहीं होने दिया है.’’

भारत ने सिर्फ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया: थरूर

थरूर ने कहा कि भारत ने शुरू से ही संकेत दे दिया था कि वह लंबे संघर्ष या युद्ध शुरू करने में दिलचस्पी नहीं रखता है. बाद में उन्होंने कार्यक्रम स्थल पर मीडियाकर्मियों से कहा, ‘‘हमारी रुचि आतंकवादियों से बदला लेने में थी और हमने केवल आतंकवादी शिविरों और आतंकवादी ठिकानों पर ही हमला किया.’’

उन्होंने कहा कि भारत का रुख यह था कि ‘‘यदि पाकिस्तान हमला करता है, तो हम जवाब देंगे, यदि वह रुकता है, तो हम रुक जायेंगे. जिस दिन उन्होंने संकेत दिया कि वे रुकेंगे, भारत शुरू से ही रुकने को तैयार था और किसी को भी भारत को रुकने के लिए मनाने की जरूरत नहीं पड़ी.’’

सीजफायर में अमेरिका के योगदान पर क्या बोले थरूर?

उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ने भी यही कहा है. दूसरी ओर, शायद पाकिस्तान को समझाने की जरूरत थी, हम नहीं जानते कि अमेरिकियों ने पाकिस्तान से क्या कहा होगा. अगर पाकिस्तानियों को लगता है कि उन्होंने इसलिए रोका क्योंकि अमेरिकी चाहते थे, तो यह उनके लिए अच्छी बात है, यह हमारे लिए कोई समस्या नहीं है.’’

थरूर के नेतृत्व में पांच देशों की यात्रा करने वाला प्रतिनिधिमंडल उन सात बहुपक्षीय प्रतिनिधिमंडलों में से एक था, जिन्हें भारत ने आतंकवाद के साथ पाकिस्तान के संबंधों को उजागर करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय तक पहुंचने के लिए 33 वैश्विक राजधानियों में भेजा था.

इमरजेंसी को लेकर शशि थरूर ने क्या कहा?

50 साल पहले कांग्रेस की तत्कालीन सरकार द्वारा लगाए गए आपातकाल के बारे में थरूर ने कहा कि सभी को यह स्पष्ट रूप से पता है कि यह ‘‘हमारे इतिहास का एक बुरा दौर था, क्योंकि उस दौरान (स्वतंत्रता) बहुत अधिक निलंबित कर दी गई थी’’ और तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने खुद चुनाव का आह्वान किया था और उसके परिणामों को शालीनतापूर्वक स्वीकार किया था.

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि हम सभी को इस बरसी का इस्तेमाल संविधान के प्रति, स्वतंत्रता के मूल्यों के प्रति, उन मूल्यों के प्रति स्वयं को पुनः समर्पित करने के लिए करना चाहिए, जिनके लिए हमारे संस्थापकों ने संघर्ष किया और जिन्हें स्थापित किया.’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं उम्मीद करता हूं कि हर कोई इस 50वीं बरसी का इस्तेमाल राजनीतिक फायदा उठाने के लिए नहीं, बल्कि उन आदर्शों के प्रति स्वयं को पुनः समर्पित करने के लिए करेगा.’’

रूस की अपनी हाल की यात्रा के बारे में थरूर ने कहा कि यह उनके समकक्षों से संपर्क साधने तथा अपने ‘‘पुराने मित्र’’ रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से मिलने का अवसर था.

कांग्रेस नेता ने कहा कि रूस भारत का पुराना और विश्वसनीय मित्र रहा है और इन रिश्तों को बनाए रखना हमेशा अच्छा होता है।



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