PM Modi Visit Shri Anandpur Dham: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार (11 अप्रैल, 2025) को मध्य प्रदेश के अशोकनगर स्थित श्री आनंदपुर धाम पहुंचे. पीएम मोदी ने गुरु जी महाराज मंदिर में दर्शन कर पूजा-अर्चना की और परमहंस अद्वैत मत के प्रमुख गुरु महाराज, महात्मा शब्द प्रेमानंद जी और अन्य संतगणों से भेंट की.
पीएम मोदी ने आनंदपुर सत्संग आश्रम परिसर स्थित चारों मंदिरों के दर्शन किए. इसके बाद उन्होंने श्री आनंदपुर धाम के विभिन्न सेवा प्रकल्पों की जानकारी ली. प्रधानमंत्री को इस धाम में होने वाली भक्ति और ज्ञान से जुड़ी गतिविधियों के साथ ही संचालित सेवा कार्यों की भी जानकारी दी गई. पीएम मोदी ने धाम के विशाल सत्संग हॉल में नागरिकों और इस धाम से जुड़े देश-विदेश के अनुयायियों को संबोधित किया.
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा, ‘आनंदपुर धाम में आकर मन अभिभूत है, हृदय आनंद से भर गया. जिस भूमि का कण-कण संतों की तपस्या से सींचा गया हो, जहां परमार्थ परंपरा बन गया हो, वो धरती साधारण नहीं है, हमारे संतों ने अशोकनगर के बारे में कहा था कि यहां शोक आने से डरता है’.
‘अद्वैत की सोच में दुनिया की समस्याओं का समाधान’
पीएम मोदी ने कहा कि ‘दुनिया में भौतिक उन्नति के बीच मानवता के लिए युद्ध, संघर्ष और मानवीय मूल्यों से जुड़ी कई चिंताएं हमारे सामने हैं. इनकी जड़ में क्या है. इनकी जड़ में अपने और पराए की मानसिकता है. ये मानसिकता मानव से मानव को दूर करती है. आज विश्व भी सोच रहा है इनका समाधान कहां मिलेगा. इनका समाधान अद्वैत के विचार में मिलेगा. अद्वैत यानी यहां कोई द्वैत नहीं है’.
धाम और क्षेत्र के विकास पर जोर
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘आनंदपुर धाम और अशोकनगर का विकास किया जाएगा. यहां की चंदेरी साड़ी को जीआई टैग दिया गया है. इससे इसकी पहचान मजबूत होगी’.
सिंघस्थ और राम वन गमन पथ का जिक्र
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि एमपी की सरकार उज्जैन में होने वाले सिंहस्थ की तैयारी में जुट गई है. देश में रामवन गमन पथ का विकास किया जा रहा है. इस पथ का एक हिस्सा एमपी से होकर गुजरेगा. इन कार्यों से एमपी की पहचान और मजबूत होगी.
‘विरासत और संस्कृति के साथ विकसित देश बनाने का लक्ष्य’
सरकार ने 2047 तक विकसित भारत का लक्ष्य तय किया है. हमें विश्वास है कि हम इसे हासिल करेंगे. विकास की यात्रा में संस्कृति को नहीं भूलना चाहिए. ज्यादातर देश विकास की यात्रा में संस्कृति को भूल गए हैं. हमें ध्यान रखना है कि हमारी संस्कृति केवल हमारी पहचान नहीं है बल्कि ये हमें सामर्थ्य देती है.
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