अमेरिका जाने का मिला क्लीयरेंस तो प्रियांक खरगे का आया रिएक्शन, बोले- यू-टर्न…

अमेरिका जाने का मिला क्लीयरेंस तो प्रियांक खरगे का आया रिएक्शन, बोले- यू-टर्न…


Priyank Kharge US visit: कांग्रेस नेता और कर्नाटक के मंत्री प्रियांक खरगे को शनिवार को केंद्र सरकार की ओर से अमेरिका यात्रा की अनुमति मिल गई, यह मंजूरी उन्हें उस पत्र के दो दिन बाद मिली है, जो उन्होंने विदेश मंत्री एस जयशंकर को लिखा था. उन्होंने उसमें यह स्पष्ट करने को कहा था कि आखिर उनके आधिकारिक दौरे को मंजूरी क्यों नहीं दी गई. एक्स पर एक पोस्ट में उन्होंने कहा कि विदेश मंत्रालय ने “यू-टर्न” लेते हुए अपने पहले के फैसले को रद्द कर दिया है और उन्हें यात्रा के लिए मंजूरी दे दी है.

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के पुत्र प्रियांक खरगे 14 जून से 27 जून तक अमेरिका के दौरे पर जाने वाले थे. वे बोस्टन में होने वाले ‘बायो 2025 इंटरनेशनल सम्मेलन’ और सैन फ्रांसिस्को में ‘डिजाइन ऑटोमेशन कॉन्फ्रेंस (DAC)’ में कर्नाटक सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले थे. जब उन्हें यात्रा की मंजूरी नहीं दी गई, उस समय वे फ्रांस में थे.

विदेश मंत्री को लिखा दो पन्नों का पत्र
उन्होंने गुरुवार को विदेश मंत्री एस. जयशंकर को दो पन्नों का पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने कहा कि उनका यह दौरा कर्नाटक में निवेश आकर्षित करने, रोजगार के अवसर बनाने और अंतरराष्ट्रीय सहयोग मजबूत करने के उद्देश्य से था. प्रियांक खरगे ने पत्र में लिखा, “विश्व के सबसे बड़े टेक्नोलॉजी क्लस्टर में से एक के संरक्षक और एक कैबिनेट मंत्री को इस तरह बिना किसी स्पष्टीकरण के उनके आधिकारिक दायित्वों को निभाने से रोकना गंभीर चिंता का विषय है. यह न केवल राज्य के हितों के खिलाफ है, बल्कि सहकारी संघवाद की भावना को भी कमजोर करता है.”

किस कार्यक्रम में शामिल होने वाले हैं प्रियांक?
उन्होंने अपने पत्र में आगे कहा कि यह यात्रा दो अहम अंतरराष्ट्रीय मंचों – BIO इंटरनेशनल कन्वेंशन (बोस्टन) और डिजाइन ऑटोमेशन कॉन्फ्रेंस (सैन फ्रांसिस्को) के इर्द-गिर्द निर्धारित की गई थी. इसके साथ ही कई शीर्ष कंपनियों, विश्वविद्यालयों और संस्थानों के साथ आधिकारिक बैठकें भी निर्धारित थीं, जिनमें वे कर्नाटक सरकार का प्रतिनिधित्व कर सहयोग तलाशने, निवेश आकर्षित करने और राज्य के लिए नौकरियों के अवसर बनाने वाले थे.

उन्होंने लिखा कि“ऐसे महत्वपूर्ण वैश्विक अवसर पर मंत्री स्तर की अनुपस्थिति भारत की भागीदारी को कमजोर करती है, वैश्विक साझेदारों के बीच विश्वास को प्रभावित करती है और यह संदेश देती है कि हम इन क्षेत्रों को गंभीरता से नहीं ले रहे.” खरगे ने यह भी जोड़ा कि “ऐसी यात्राएं राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुरूप होती हैं और ये प्रधानमंत्री द्वारा प्रस्तुत ‘विकसित भारत’ की व्यापक दृष्टि का सीधा समर्थन करती हैं.”

प्रक्रिया की पारदर्शिता और निरंतरता पर सवाल!
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि उन्हें मंत्रालय की ओर से किसी प्रकार का औपचारिक अस्वीकृति पत्र नहीं मिला, जिससे भविष्य में इस तरह की योजनाओं को बनाना और भी कठिन हो जाता है. प्रियांक खरगे ने आगे कहा, “यह प्रक्रिया की पारदर्शिता और निरंतरता पर सवाल खड़े करता है, खासकर जब ये यात्राएं पूरी तरह आधिकारिक, क्षेत्रीय रूप से महत्वपूर्ण और राष्ट्रीय हित में होती हैं.” उन्होंने अंत में विदेश मंत्रालय से आग्रह किया कि भविष्य में इस तरह के मामलों को अधिक पारदर्शी और सलाह आधारित तरीके से हैंडल किया जाए.



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