India-China Trade: व्यापार के लिए सभी देश अपने ट्रेडिंग पार्टनर्स की मुद्राओं की चाल पर करीब से नजर रखते हैं. भारतीय रिजर्व बैंक भी इस वक्त चीन की मुद्रा युआन को करीब से मॉनिटर कर रहा है क्योंकि चीन भारत का सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि कमजोर युआन चीन के साथ भारत के ट्रेड डेफिसिट को और कमजोर कर देगा. अमेरिका और चीन की ट्रेड वॉर के चलते युआन 17 साल के सबसे निचले स्तर पर आ गया है. डॉलर के मुकाबले यह 7.3498 गिर गया.
रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार रिजर्व बैंक और पूरे मामले पर नजर रखने वाले कुछ सूत्रों ने कहा कि अगर युआन की कीमत घटती है फिर भी भारत रुपये की तेज गिरावट को सहन कर सकता है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को चीन पर 125 पर्सेंट टैरिफ की घोषणा की. पिछले कुछ दिनों से दोनों देश एक दूसरे पर टैरिफ लागू कर रहे हैं. एक टैरिफ लगाता है तो दूसरा उसके जवाब में टैरिफ बढ़ा देता है, जिसके चलते 20, 34, 50 पर्सेंट से होते हुए चीनी सामान पर टैरिफ 125 पर्सेंट हो गया. कल पहले चीन ने जवाब में अमेरिकी एक्सपोर्ट पर 34 पर्सेंट का टैरिफ लगाया फिर उसे बढ़ाकर 50 पर्सेंट कर दिया.
अमेरिका ने वापस नहीं लिया हाई टैरिफ तो चीन की जीडीपी पर पडे़गा असर
चाइनीज एक्सपर्ट का कहना है कि जब तक अमेरिका की तरफ से हाई टैरिफ वापस नहीं लिया जाता है तो अमेरिका को एक्सपोर्ट आधा हो जाएगा. इसका असर देश की जीडीपी पर पड़ेगा. बार्कलेज बैंक के एक एनालिस्ट ने कहा है कि बढ़ते टैरिफ में मुद्रा स्थिरता के लिए बड़ी आर्थिक लागत आती है, लेकिन फिलहाल युआन में स्थिरता आने की उम्मीद नहीं दिख रही है. Goldman Sachs ने इस साल चीन की जीडीपी ग्रोथ में 0.7 पर्सेंट की कमी आने का अनुमान जताया है.
चीन की इकोनॉमी को लेकर क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
एक्सपर्ट्स का कहना है कि कमजोर युआन चीन के साथ भारत के व्यापार घाटे को और बढ़ा सकता है. युआन की वैल्यू कम होने का असर रुपये और दूसरे एशियाई देशों पर भी पड़ेगा. Goldman Sachs ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि आमतौर एशियाई देशों की करंसी के लिए डॉलर-एशियाई करंसी एक्सचेंज रेट को देखा जाता है, लेकिन अभी जो हालात हैं उसमें ये देखा जाएगा कि युआन-डॉलर करंसी एक्सचेंज रेट क्या है.
युआन की कीमत डॉलर के मुकाबले 7.3498 गिर गई है, जबकि भारतीय रुपया 85.85 पर आ गया. भारतीय रुपये में टैरिफ वॉर शुरू होने के बाद 0.7 पर्सेंट की कमी आई है. इससे पहले 10 फरवरी को रुपया 87.95 पर गया था, जो अब तक का सबसे निचला स्तर था.
चीन भारत का सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर है और भारत ने पिछले साल चीन के साथ 94 बिलियन डॉलर का व्यापार घाटा उठाया. ये चीनी निर्यात पर भारत की निर्भरता को दिखाता है. इस वजह से इंडिया का रिजर्व बैंक युआन पर करीब से नजर रख रहा है. व्यापार के लिए रिजर्व बैंक ट्रेडिंग पार्टनर्स की मुद्राओं की चाल पर नजर रखता है.
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