अमेरिका में रहने वाले भारतीय छात्रों में दहशत! वीजा पॉलिसी में हुए बदलाव के बाद छोड़ रहे पार्ट

अमेरिका में रहने वाले भारतीय छात्रों में दहशत! वीजा पॉलिसी में हुए बदलाव के बाद छोड़ रहे पार्ट


Impact On Indian Student In US: अमेरिका में कई भारतीय छात्र अपने पार्ट टाइम जॉब को छोड़ने के लिए मजबूर हो गए हैं. ये छात्र जो पहले रेस्तरां, गैस स्टेशनों और  दुकानों पर बिना दस्तावेज के काम करते थे, अब निर्वासन या अपने F1 वीजा खोने के डर से काम छोड़ने को मजबूर हो गए हैं.
 
अमेरिका में अंतरराष्ट्रीय छात्रों को एफ-1 वीज़ा के तहत कैंपस में सप्ताह में अधिकतम 20 घंटे तक काम करने की अनुमति है. हालांकि, कई छात्र अपनी पढ़ाई के खर्चों को पूरा करने के लिए ऑफ-कैंपस काम करते हैं, जो कि बिना दस्तावेज़ होता है. यह काम उनके किराए, खाने और अन्य जरूरतों को पूरा करने के लिए ज़रूरी होता है.

अब डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन की तरफ से सख्त आव्रजन नीतियों को लागू करने के संकेतों ने इन छात्रों को डरा दिया है. नए प्रशासन के तहत, छात्रों में डर का माहौल है. उनके अवैध रूप से काम के कारण वे निर्वासन का सामना कर सकते हैं या अपनी छात्र वीज़ा  खो सकते हैं.

छात्रों की चिंताएं और नौकरी छोड़ने का फैसला
इलिनोइस के एक यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे छात्र  ने बताया कि मैं कॉलेज के बाद एक छोटे कैफ़े में काम करता था और हर दिन छह घंटे काम कर प्रति घंटे 7 डॉलर कमाता था. यह मेरे लिए काफी सही था. लेकिन जब मैंने सुना कि अप्रवास अधिकारी अवैध रूप से काम करने पर नकेल कस सकते हैं तो मैंने तुरंत नौकरी छोड़ दी. मैंने यहां पढ़ने के लिए 50,000 डॉलर उधार लिए हैं और मैं अपना भविष्य जोखिम में नहीं डाल सकता.”

इसी तरह, न्यूयॉर्क में मास्टर की छात्रा  ने भी कहा कि मैंने और मेरे दोस्तों ने अब काम करना बंद कर दिया है. यह हमारे लिए काफी मुश्किल फैसला है, लेकिन हम निर्वासन या अपने वीज़ा गंवाने का जोखिम नहीं उठा सकते.”

पैसों की दिक्कत और भविष्य की अनिश्चितता
हालात का फिर से आकलन करने की योजना बना रहे छात्रों ने कहा कि वे कुछ महीनों के बाद स्थिति की समीक्षा करेंगे और फिर तय करेंगे कि काम फिर से शुरू करना है या नहीं. इस बीच, वे अपनी बचत या भारत में अपने परिवार और दोस्तों से उधार लेकर अपना खर्च चला रहे हैं. टेक्सास में कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई कर रहे एक छात्र ने कहा कि यह कोई स्थायी समाधान नहीं है. मेरी बचत लगभग खत्म हो चुकी है और मैंने अपने रूममेट से उधार लेना शुरू कर दिया है. मुझे नहीं पता कि मैं इस तरह कब तक गुज़ारा कर पाऊंगा. उसने आगे बताया कि उसे अब अपने माता-पिता से मदद मांगने में दिक्कत महसूस हो रही है क्योंकि वे पहले से ही आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं. मुझे उनसे पैसे मांगने पड़ सकते हैं. लेकिन मुझे जल्द ही ऐसा करना पड़ सकता है, क्योंकि मेरे पास और कोई विकल्प नहीं दिख रहा है.”

मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव
इस आर्थिक अनिश्चितता ने कई छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित किया है. अमेरिका में भारतीय छात्रों के लिए यह समय न केवल आर्थिक रूप से चुनौतीपूर्ण है, बल्कि भावनात्मक रूप से भी कठिन हो रहा है.

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