‘अवैध धर्मांतरण इतना गंभीर अपराध नहीं कि जमानत न मिल सके’, SC ने यूपी के मौलवी को दी राहत

‘अवैध धर्मांतरण इतना गंभीर अपराध नहीं कि जमानत न मिल सके’, SC ने यूपी के मौलवी को दी राहत


Supreme Court Bail To UP Maulavi: मानसिक रूप से कमजोर नाबालिग के अवैध धर्मांतरण के आरोपी कानपुर के मौलवी सैयद शाह काजमी उर्फ मोहम्मद शाद को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अवैध धर्मांतरण हत्या, रेप या डकैती जैसा कोई इतना गंभीर अपराध नहीं है कि उसमें जमानत न दी जा सके.

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जे बी पारदीवाला की अध्यक्षता वाले 2 जजों की बेंच ने इस बात पर हैरानी जताई कि मौलवी को निचली अदालत और हाई कोर्ट ने जमानत नहीं दी. बेंच ने अपने आदेश में कहा है, “हर साल सेमिनार होते हैं, जिनमें निचली अदालत के जजों को यह बताया जाता है कि जमानत के मामले में वह अपने विवेक का इस्तेमाल कैसे करें. फिर भी जज अपनी इच्छा से जमानत देने या न देने का फैसला करते हैं. निचली अदालत के जज ने अगर याचिकाकर्ता को जमानत नहीं दी, तब भी कम से कम हाई कोर्ट से यह उम्मीद की जाती है कि वह ऐसा करता.”

यूपी सरकार ने कोर्ट के सामने क्या दलील दी?

सुनवाई के दौरान मौलवी के लिए पेश वकील ने उसके 11 महीने से हिरासत में होने का हवाला दिया. वहीं यूपी सरकार की तरफ से पेश एडिशनल एडवोकेट जनरल गरिमा प्रसाद ने कहा कि आरोपी पर आईपीसी की धारा 504 और 506 के अलावा यूपी के अवैध धर्मांतरण विरोधी कानून, उत्तर प्रदेश प्रोहिबिशन ऑफ अनलॉफुल रिलीजियस कनवर्जन एक्ट, 2021 की धाराएं भी लगी हैं. मामला एक नाबालिग के जबरन धर्म परिवर्तन का है. इसलिए, यह बेहद संगीन है. इसमें 10 साल तक की सजा मिल सकती है.

जजों ने ठुकराया यूपी सरकार का तर्क

जजों ने यूपी सरकार की वकील के तर्क को ठुकरा दिया. उन्होंने कहा कि अगर याचिकाकर्ता के खिलाफ सबूत हैं, तो निचली अदालत उन्हें देखते हुए सजा तय करेगी. फिलहाल यह मामला जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है. ऐसा नहीं लगता कि इस मामले में याचिकाकर्ता को हिरासत में बनाए रखने की ज़रूरत है. इसलिए, उसे जमानत दी जा रही है.

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