<p style="text-align: justify;">असम यूनिवर्सिटी सिलचर में इस साल रमजान के मौके पर होने वाली ‘दावत-ए-इफ्तार’ का आयोजन नहीं होगा. विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्रों द्वारा आयोजित किए जा रहे इस इफ्तार कार्यक्रम को अनुमति देने से इनकार कर दिया है. प्रशासन का कहना है कि विश्वविद्यालय परिसर में किसी भी प्रकार के धार्मिक कार्यक्रमों की इजाजत नहीं दी जाती, ताकि संस्थान की धर्मनिरपेक्ष छवि बरकरार रखी जा सके.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>पिछले दो वर्षों में हो चुका है सफल आयोजन</strong></p>
<p style="text-align: justify;">आयोजकों ने इस फैसले पर कहा है कि बीते दो वर्षों में बिना किसी अड़चन के ‘दावत-ए-इफ्तार’ का सफल आयोजन हुआ था, जिसमें विश्वविद्यालय के अधिकारी भी शामिल हुए थे. लेकिन इस साल इफ्तार कार्यक्रम के लिए समय पर अनुमति न मिलने के कारण इसे रद्द करना पड़ा.</p>
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<p style="text-align: justify;"><strong>छात्र ने कही ये बात</strong></p>
<p style="text-align: justify;">इफ्तार आयोजन समिति के सदस्य और मास्टर्स के छात्र आर.के. आज़ाद चौधरी ने सोशल मीडिया पर बयान जारी करते हुए लिखा नियम तो नियम हैं, हम पूरी तरह समझते हैं. धर्मनिरपेक्षता बनाए रखने के लिए संस्थान की प्रतिबद्धता का हम सम्मान करते हैं. लेकिन उम्मीद करते हैं कि भविष्य में निष्पक्षता का यह भाव समान रूप से सब पर लागू हो.</p>
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<p style="text-align: justify;"><strong>22 मार्च को प्रस्तावित था ‘दावत-ए-इफ्तार 2025′</strong></p>
<p style="text-align: justify;">छात्रों का यह भी कहना है कि इफ्तार केवल धार्मिक रस्म नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक मेलजोल और भाईचारे का प्रतीक है. बताते चलें कि ‘दावत-ए-इफ्तार 2025’ का आयोजन 22 मार्च को प्रस्तावित था, लेकिन अब इसे रद्द कर दिया गया है.</p>
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असम यूनिवर्सिटी सिलचर में इस साल नहीं होगी ‘दावत-ए-इफ्तार’, प्रशासन ने अनुमति देने से किया इनका
