‘आक्रमण को विवाद में बदल दिया’, एस जयशंकर ने UN की कश्मीर पर गलती को लेकर खूब सुनाया

‘आक्रमण को विवाद में बदल दिया’, एस जयशंकर ने UN की कश्मीर पर गलती को लेकर खूब सुनाया


Raisina Dialogue 2025: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार (18 मार्च, 2025 ) को रायसीना डायलॉग 2025 में भारत का पक्ष मजबूती से रखा. उन्होंने कश्मीर मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र की ऐतिहासिक चूक और वैश्विक व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया .

दरअसल, जयशंकर ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र ने कश्मीर में पाकिस्तान के अवैध कब्जे को निंदा न करके एक बड़ी गलती की है और हमलावर (पाकिस्तान) और पीड़ित (भारत) को एक ही श्रेणी में रख दिया गया.

कश्मीर पर संयुक्त राष्ट्र की ऐतिहासिक भूल
जयशंकर ने कहा कि भारत ने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद दुनिया में सबसे लंबे समय तक अवैध कब्जे का सामना किया है. जम्मू और कश्मीर, जिसमें गिलगित-बाल्टिस्तान शामिल है, 1947 में भारत में विलय हुआ. पाकिस्तान ने आक्रमण कर भारतीय क्षेत्र पर अवैध कब्जा कर लिया और दशकों से वहां क़ब्ज़ा बनाए रखा है. संयुक्त राष्ट्र में इस आक्रमण को एक “विवाद” में बदल दिया गया, जिससे भारत के साथ अन्याय हुआ.

संयुक्त राष्ट्र की निष्पक्षता पर सवाल
जयशंकर ने कहा कि जब भारत संयुक्त राष्ट्र गया, तो आक्रमणकारी (पाकिस्तान) और पीड़ित (भारत) को बराबर कर दिया गया. उन्होंने सवाल उठाया कि इसके लिए दोषी कौन थे.यूके, कनाडा, बेल्जियम, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका ? इन देशों ने पाकिस्तान की आक्रामकता को सही ठहराने की कोशिश की. जयशंकर ने कहा कि वैश्विक नियमों को चयनात्मक रूप से लागू नहीं किया जाना चाहिए.

सुधारित और मजबूत संयुक्त राष्ट्र की आवश्यकता
विदेश मंत्री ने जोर देकर कहा कि संयुक्त राष्ट्र को निष्पक्ष और प्रभावी बनाना जरूरी है. उन्होंने कहा, “हमें एक मजबूत लेकिन निष्पक्ष संयुक्त राष्ट्र चाहिए. वैश्विक मानकों को सभी पर समान रूप से लागू किया जाना चाहिए. हमें एक स्थिर अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था की ज़रूरत है, ताकि कोई भी देश अराजकता का लाभ न उठा सके.”

दोहरे मानकों पर जयशंकर की आलोचना
जयशंकर ने पाकिस्तान का नाम लिए बिना वैश्विक दोहरे मापदंडों पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा, “म्यांमार में सैन्य शासन पर प्रतिबंध है, लेकिन पश्चिम एशिया में ऐसे ही मामलों को नजरअंदाज किया जाता है. पिछले आठ दशकों से वैश्विक सत्ता संतुलन बदल चुका है, इसलिए नई व्यवस्था की जरूरत है. हमें स्पष्ट रूप से एक अलग वैश्विक व्यवस्था पर चर्चा करनी चाहिए.”

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