आखिर कौन होते हैं द्रुज, जो मुसलमानों से हो गए अलग? इनके लिए इजरायल ने सीरिया पर दाग दीं मिसाइल

आखिर कौन होते हैं द्रुज, जो मुसलमानों से हो गए अलग? इनके लिए इजरायल ने सीरिया पर दाग दीं मिसाइल


Who are Druze: पिछले कुछ दिनों से कहा जा रहा था कि अमेरिका और इजरायल के सीरिया के साथ रिश्तों में सुधार हो रहा है. लेकिन इसी बीच बुधवार को इजरायल ने चौंकाते हुए सीरिया पर हमले कर दिए. ये हमले सीरिया के रक्षा मंत्रालय पर किए गए और इजरायली सेना दमिश्क के अंदर तक घुस गई. इजरायल ने इन हमलों को द्रुज अल्पसंख्यक समुदाय की सुरक्षा के नाम पर जायज ठहराने की कोशिश की है.

इजरायल का कहना है कि सीरिया में द्रुज समुदाय के लोगों पर सीरियाई सरकारी बलों ने अत्याचार किए हैं. उसी का जवाब देने के लिए हमने सैन्य कार्रवाई की है. इजरायल ने कहा, ‘हम द्रुज समुदाय की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं और उन पर कोई आंच नहीं आने देंगे.’

दक्षिण सीरिया में 5 लाख द्रुज
दक्षिण सीरिया में द्रुज समुदाय की आबादी लगभग 5 लाख है. ये लोग वहां एक अहम अल्पसंख्यक समुदाय माने जाते हैं. इजरायल ने दावा किया है कि सीरिया में राष्ट्रपति अहमद अल शारा के नेतृत्व में जिहादी ताकतें मजबूत हो रही हैं और अब वे दक्षिणी सीरिया को निशाना बना रही हैं.

इजरायल का आरोप है कि स्वेदा, जो एक द्रुज बहुल शहर है, वहां हाल के दिनों में कई हमले हुए हैं, जिनमें कई अल्पसंख्यक मारे गए. सोमवार को सीरियाई सेना ने भी इस इलाके में सैन्य प्रवेश किया. इजरायल का कहना है कि इस इलाके के द्रुजों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ही यह हमला किया गया.

कौन हैं द्रुज? इस्लाम से अलग पहचान
द्रुज समुदाय की जड़ें भले ही इस्लाम से जुड़ी रही हों, लेकिन यह समुदाय खुद को इस्लाम से अलग मानता है. 11वीं सदी में यह समुदाय शिया इस्माइली मत से अलग होकर अस्तित्व में आया. द्रुज भी अब्राहमिक धर्मों का हिस्सा माने जाते हैं और ये भी एकेश्वरवादी हैं यानी एक ईश्वर में विश्वास रखते हैं.

हालांकि, इस्लाम की तुलना में उनकी कुछ मान्यताएं भिन्न हैं. मसलन, द्रुज पुनर्जन्म में विश्वास रखते हैं और भाग्यवादी माने जाते हैं. इनकी भाषा अरबी है और ये मूलतः अरब समुदाय से ताल्लुक रखते हैं.

हिंदुओं जैसी मान्यताओं वाला एक समुदाय
द्रुज समुदाय मुख्य रूप से सीरिया, लेबनान, इजरायल और जॉर्डन में फैला है. इसके अलावा विदेशों में भी इनकी छोटी-छोटी बस्तियां हैं. अकेले सीरिया और गोलान हाइट्स में ही करीब 5 लाख द्रुज रहते हैं. इनका एक बड़ा हिस्सा इजरायल में भी बसा है, और यही वजह है कि यहूदी समुदाय इनसे खुद को निकट महसूस करता है. इसकी एक बड़ी वजह यह है कि द्रुज इस्लामिक मान्यताओं को नहीं मानते हैं और धार्मिक रूप से यहूदी समाज के करीब नजर आते हैं.

द्रुज धर्म में न तो धर्म परिवर्तन की अनुमति है और न ही अंतरधार्मिक विवाह की. यही कारण है कि यह एक बंद धार्मिक समाज की तरह कार्य करता है. इनकी इजरायल की सेना में भी भागीदारी रही है और यह वहां की रक्षा में सक्रिय भूमिका निभाते हैं. हालांकि, इस्लामिक चरमपंथियों की नजर में ये हमेशा टारगेट पर रहते हैं और अक्सर हिंसा का शिकार बनते हैं.



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