वक्फ संशोधन विधेयक (Waqf Amendment Bill) को लेकर देशभर में विरोध देखने को मिल रहा है. इस प्रदर्शन को विपक्षी पार्टियों का समर्थन भी मिल रहा है. इस मुद्दे पर भारत के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि वक्फ बिल को लेकर कुछ लोग गुमराह कर रहे हैं. लोगों को सोच समझ कर बोलना चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘आजादी से पहले से वक्फ है और आजादी से पहले भी संशोधन हुआ. वक्फ बिल को लेकर जानकर विरोध हो रहा है. ये बिल देश के लिए अच्छा बिल है.’ उन्होंने आगे कहा कि मुसलमान के एक वर्ग ने वक्फ के संपति पर कब्जा कर रखा है इसलिए विरोध कर रहे हैं. वक्फ बिल में कोई गैर संवैधानिक प्रावधान नहीं है. सबको मिलकर इस बिल का समर्थन करना चाहिए.’
औवैसी ने किया था विरोध
इससे पहले एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि यह बिल मुस्लिमों की धार्मिक आजादी पर हमला है. उन्होंने आरोप लगाया कि यह बिल वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों को सदस्य बनाकर इसके प्रशासन में बाधा डालता है, जो संविधान के अनुच्छेद 14, 26 और 225 का उल्लंघन है. उन्होंने सवाल उठाया कि जब दूसरे धर्मों के बोर्ड में सिर्फ उसी धर्म के लोग सदस्य बन सकते हैं, तो वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम क्यों?
गृह मंत्री अमित शाह ने किया ये ऐलान
गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में घोषणा की है कि सरकार मौजूदा बजट सत्र के दौरान वक्फ संशोधन विधेयक पेश करेगी. इस विधेयक के तहत, भूमि विवादों को सुलझाने का अधिकार केवल न्यायालयों को दिया जाएगा, जिससे पारदर्शिता और न्याय सुनिश्चित हो सके. इस विधेयक का देशभर में मुस्लिम संगठनों द्वारा विरोध किया जा रहा है. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इसे “मुस्लिम धर्मस्थलों और दान संस्थानों पर साजिश” करार दिया है. हाल ही में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के आह्वान पर देशभर में मुसलमानों ने रमज़ान के अंतिम शुक्रवार को काले पट्टे बांधकर विरोध जताया.
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