Pakistan Genral Asim Munir Power: 2023 में जब पाकिस्तान में इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद हिंसक विरोध प्रदर्शन शुरू हुए तब से ही जनरल असीम मुनीर सेना और सत्ता का प्रतीक बन गए हैं. जनरल मुनीर की सार्वजनिक छवि एक सख्त और रणनीतिक सैन्य अधिकारी की रही है, लेकिन उनकी लोकप्रियता में गिरावट भी दर्ज की गई है, विशेषकर बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा क्षेत्रों में. अब पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने उनकी गिरती पकड़ को एक नई जान दी है. 7 मई 2025 को सुनाया गया फैसला सैन्य प्रतिष्ठान को न केवल नागरिकों के खिलाफ मुकदमे चलाने की अनुमति देता है, बल्कि लोकतंत्र की जड़ों को भी कमजोर कर सकता है.
सुप्रीम कोर्ट की सात सदस्यीय संवैधानिक पीठ ने 5-2 के बहुमत से यह निर्णय सुनाया कि 9 मई 2023 को सैन्य ठिकानों पर हमले में शामिल नागरिकों के खिलाफ सैन्य अदालतों में मुकदमा चलाया जा सकता है. इससे पहले 2023 में एक अन्य पीठ ने इस प्रक्रिया को असंवैधानिक करार दिया था. यह फैसला पाकिस्तानी संविधान की नागरिक स्वतंत्रता की भावना के विपरीत प्रतीत होता है, लेकिन कोर्ट के इस निर्णय से यह भी झलकता है कि सैन्य प्रतिष्ठान और न्यायपालिका के बीच संबंध कितने जटिल और घने हो गए हैं.
पीटीआई की प्रतिक्रिया और लोकतंत्र का क्षरण
इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) ने इस फैसले की तीव्र आलोचना की है. पार्टी नेताओं ने इसे “हथियारबंद फैसला” बताया है जो जनरल मुनीर को असहमति को दबाने का संवैधानिक माध्यम देता है. सिंध के पीटीआई प्रमुख हलीम आदिल शेख ने विशेष रूप से फैसले के समय पर सवाल उठाते हुए इसे “युद्ध जैसी स्थिति के बीच अन्याय को छिपाने का प्रयास करार दिया.
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया और मानवाधिकार संगठनों की चेतावनी
इंटरनेशनल कमीशन ऑफ जस्टिस (ICJ) की रीना ओमर ने इस फैसले को भयानक” कहा, हालांकि उन्होंने स्वीकार किया कि इसकी उम्मीद पहले से थी. उन्होंने न्यायपालिका द्वारा न्याय के सैन्यीकरण पर गहरी चिंता जताई. मानवाधिकार संगठनों का मानना है कि इस फैसले के माध्यम से पाकिस्तान अपने ही नागरिकों के खिलाफ एक सैन्य तंत्र को वैध बना रहा है जो पारदर्शिता और निष्पक्षता से कोसों दूर है.