ईरान और इजरायल के हलिया संर्घष के बाद दोनों देशों के बीच स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है. इस बीच मध्य पूर्व में एक बार फिर तनाव का स्तर बढ़ता नजर आ रहा है. इजरायल के रक्षा मंत्री इजरायल काट्ज ने रविवार (27 जुलाई 2025) को ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई को खुली चेतावनी दी कि अगर उन्होंने इजरायल को धमकाना बंद नहीं किया तो उन्हें व्यक्तिगत नुकसान के लिए तैयार रहना चाहिए.
रेमन एयरबेस पर सैनिकों को संबोधित करते हुए काट्ज ने दो टूक कहा, अगर आप इजरायल को धमकाते रहेंगे तो हमारा लंबा हाथ एक बार फिर ईरान तक पहुंचेगा. इस बार और अधिक ताकत के साथ और यह हाथ आपको व्यक्तिगत रूप से नुकसान पहुंचाएगा. यह बयान दर्शाता है कि इजरायल की सैन्य और रणनीतिक नीति अब न केवल बुनियादी ढांचों पर केंद्रित है, बल्कि शीर्ष नेतृत्व को भी लक्षित करने के लिए तैयार है.
ऑपरेशन राइजिंग लायन के माध्यम से ईरान पर हमला
इजरायली मंत्री ने 13 जून को शुरू हुए ऑपरेशन राइजिंग लायन की प्रशंसा की, जिसमें इजरायली वायुसेना ने ईरान के परमाणु और सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया. उन्होंने कहा, हमलोगों ने ईरान को बर्बाद कर दिया. उनकी तरफ से बनाए जा रहे विनाशकारी सामान को खत्म कर दिया. बता दें कि इस अभियान में इजरायल ने ईरान की परमाणु ठिकानों पर हमला किया था. उसके न्यूक्लियर प्रोगाम को खत्म करने के लिए उसके तीन न्यूक्लियर साइट पर ताबड़तोड़ हवाई हमला किया था, जिसमें फोर्डो,नतांज और अराक शामिल था.
ईरान ने ऑपरेशन ट्रू प्रॉमिस के जरिए दिया इजरायली हमले का जवाब
ईरान ने इस इजरायली हमले का जवाब ऑपरेशन ट्रू प्रॉमिस के माध्यम से दिया, जिससे दो देशों के बीच 12 दिनों तक युद्ध चला. यह संघर्ष 25 जून को तब थमा, जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मध्यस्थता कर युद्धविराम करवाने का दावा किया. रिपोर्ट्स के मुताबिक युद्ध के दौरान अमेरिका ने ख़ामेनेई के संभावित ठिकानों की जानकारी साझा की, लेकिन ट्रंप ने कथित रूप से ईरानी नेता की हत्या की इजरायली योजना को वीटो कर दिया.
क्या अयातुल्ला ख़ामेनेई इजराइल टारगेट थे?
रक्षा मंत्री काट्ज़ ने इस बात की पुष्टि की कि ख़ामेनेई को इजरायली सेना की तरफ से मारने वालों लोगों की लिस्ट में शामिल किया गया था, लेकिन वे अंडरग्राउंड होने की वजह से बच गए. काट्ज ने यह साफ किया कि उन्हें निशाना बनाया गया था, लेकिन वो छिप गए और इजरायली हमले से बच गए. हमले में ईरान के कई वैज्ञानिक और सैन्य अधिकारियों की मौत हो गई थी.
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