Israel Iran Relations: भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रविवार (8 दिसंबर 2024) को कहा कि इज़राइल और ईरान के बीच तनाव एक “चिंता का कारण” है और इस मुद्दे को हल करने के लिए भारत की कूटनीतिक कोशिशें जारी हैं. उन्होंने बहरीन के मनीमा डायलॉग में दिए अपने संबोधन में कहा कि भारत के लिए इस क्षेत्र में सुरक्षा स्थिति को कम करना आवश्यक है, क्योंकि इसका व्यापार पर प्रभाव पड़ता है. उन्होंने बताया कि इस वजह से समुद्री मार्गों का रुख मोड़ना और व्यापार लागतों में बढ़ोतरी चिंता की एक वजह है.
जयशंकर ने यह भी कहा कि भारत का पश्चिमी एशिया के देशों के साथ सुरक्षा संबंधों में अहम योगदान है, क्योंकि इस क्षेत्र में जंग और अशांति का गहरा असर एशिया के व्यापार पर पड़ता है. उन्होंने समुद्री रास्तों में बदलाव, बीमा दरों में वृद्धि और शिपिंग लागतों में वृद्धि को इस समस्या का हिस्सा बताया. भारत का इस मुद्दे में हित है क्योंकि वह इस क्षेत्र से ऊर्जा आपूर्ति पर निर्भर है और यहां लगभग नौ मिलियन भारतीय प्रवासी रहते हैं.
भारत की सुरक्षा गतिविधियां और समुद्री क्षेत्र में योगदान
भारत ने हाल के वर्षों में खाड़ी के क्षेत्र में अपनी नौसेना की उपस्थिति को मजबूत किया है. भारत ने पिछले वर्ष 24 घटनाओं का जवाब दिया और 250 से अधिक जहाजों की सुरक्षा की. विदेश मंत्री ने कहा कि भारत ऑपरेशन प्रॉस्पेरिटी गार्जियन और संयुक्त समुद्री बल (Combined Maritime Force) का हिस्सा है, जो बहरीन में केंद्रित है. इस क्षेत्र में भारत के सुरक्षा प्रयासों में बढ़ोतरी की योजना है.
कनेक्टिविटी परियोजनाओं पर जोर
जयशंकर ने भारत-म्यांमार-थाईलैंड त्रिकोणीय राजमार्ग (IMTT), अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण व्यापार मार्ग (INSTC) और भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEC) जैसी कनेक्टिविटी परियोजनाओं पर भी रोशनी डाला. उन्होंने कहा कि इन परियोजनाओं के पूरा होने पर, IMEC एक दिन अटलांटिक को भारत से जोड़ेगा, जबकि IMTT भारत को प्रशांत महासागर से जोड़ेगा, और इससे दक्षिण यूरोप, अरब प्रायद्वीप और एशिया महाद्वीप के माध्यम से एक वैश्विक कनेक्टिविटी मार्ग स्थापित होगा.
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