ईरान के पास हैं कौन-कौन से वेपन तकनीक, इजराइल-अमेरिका को दे सकता है पटखनी, जान लीजिए

ईरान के पास हैं कौन-कौन से वेपन तकनीक, इजराइल-अमेरिका को दे सकता है पटखनी, जान लीजिए


Iran’s Weapons Technology: बीते कुछ वर्षों में ईरान ने अपनी सैन्य ताकत में जबरदस्त इज़ाफा किया है. पश्चिमी देशों की तमाम आर्थिक पाबंदियों और तकनीकी प्रतिबंधों के बावजूद, ईरान ने न केवल अपने पारंपरिक हथियारों को बेहतर किया है बल्कि स्वदेशी हथियार निर्माण में भी प्रगति की है. आज जब इज़राइल और अमेरिका जैसे सैन्य महाशक्तियों से उसका तनाव बढ़ रहा है तो यह सवाल अहम हो जाता है कि ईरान किन हथियार तकनीकों से लैस है और क्या वह वाकई इन देशों को टक्कर देने की स्थिति में है?

मिसाइल तकनीक: ईरान की सबसे बड़ी ताकत

ईरान की सैन्य रणनीति का सबसे अहम पहलू उसकी बैलिस्टिक मिसाइल तकनीक है. ईरान के पास शेहाब, घदर, सेज्जिल, और खोर्रमशहर जैसे लंबी दूरी की मिसाइलें हैं जिनकी रेंज 2,000 किलोमीटर से अधिक है. ये मिसाइलें इज़राइल तक आसानी से पहुंच सकती हैं. इसके अलावा, ईरान ने फतेह-110 और ज़ोल्फ़घार जैसी कम और मध्यम दूरी की मिसाइलों में भी आत्मनिर्भरता हासिल कर ली है जिन्हें सटीकता के लिए GPS और इनर्शियल गाइडेंस सिस्टम से लैस किया गया है.

ड्रोन्स और यूएवी

ईरान ने हाल के वर्षों में ड्रोन्स और यूएवी तकनीक में भी काफी प्रगति की है. शाहेद-129, शाहेद-136, और मोहेजर-6 जैसे ड्रोन्स न केवल निगरानी में सक्षम हैं, बल्कि सटीक बमबारी और आत्मघाती हमलों के लिए भी इस्तेमाल किए जा सकते हैं. खासकर शाहेद-136 को रूस द्वारा यूक्रेन युद्ध में इस्तेमाल किए जाने की खबरों ने ईरानी ड्रोन तकनीक को वैश्विक ध्यान में ला दिया है.

वायु रक्षा सिस्टम और रडार

ईरान ने अपनी वायु रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने के लिए कई स्वदेशी प्रणाली विकसित की हैं जिनमें बावर-373, खोरदाद-15, और सैय्यद-2/3 जैसे एयर डिफेंस सिस्टम शामिल हैं. बावर-373 को रूस की S-300 प्रणाली की टक्कर का माना जाता है. ये सिस्टम क्रूज मिसाइल, ड्रोन और स्टील्थ विमान तक को मार गिराने की क्षमता रखते हैं.

नौसेना और पनडुब्बी

ईरानी नौसेना भी अब तेज़ी से आधुनिक हो रही है. देश ने फतेह और ग़दीर जैसी मिनी- और मिड-साइज़ पनडुब्बियों का निर्माण किया है, जो टॉरपीडो और मिसाइलों से लैस होती हैं. फारस की खाड़ी और होरमुज जलडमरूमध्य जैसे सामरिक क्षेत्रों में यह नौसेना बड़ी भूमिका निभाती है.

क्या अमेरिका और इज़राइल को दे सकता है टक्कर?

सीधे टकराव की स्थिति में ईरान तकनीकी रूप से अमेरिका या इज़राइल के बराबर नहीं है लेकिन असममित युद्ध, गैर-परंपरागत हथियार, और छाया संगठनों (जैसे हिज़्बुल्ला, हौथी विद्रोही) के सहारे ईरान एक प्रभावशाली चुनौती जरूर बन चुका है. उसकी मिसाइलें और ड्रोन तकनीक उसे रणनीतिक बढ़त देती हैं, खासकर अगर युद्ध लंबा खिंचता है.

यह भी पढ़ें:

हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल! भारतीय वायुसेना का अगला ‘ब्रह्मास्त्र’ जो दुश्मन को 5500 किमी दूर से हिला देगा



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *