Israel Attacks Iran: ईरान और इजरायल के बीच चल रहे संघर्ष ने मध्य पूर्व को युद्ध की दहलीज पर ला खड़ा किया है. एक ओर जहां इजरायल ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमले तेज कर चुका है, वहीं दूसरी ओर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की चुप्पी और अस्पष्ट बयान वैश्विक चिंता का विषय बन गए हैं. ट्रंप का रुख यह तय करने में अहम साबित हो सकता है कि क्या यह टकराव एक पूर्ण युद्ध में बदल जाएगा या बातचीत की ओर बढ़ेगा.
ट्रंप की चुप्पी और चेतावनी
डोनाल्ड ट्रंप ने द वॉल स्ट्रीट जर्नल को बताया कि उन्होंने ईरान पर हमले की योजनाओं को मंजूरी दे दी है, लेकिन वह आखिरी आदेश देने से पहले देखना चाहते हैं कि ईरान अपना परमाणु कार्यक्रम छोड़ता है या नहीं. व्हाइट हाउस के बाहर पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा, “मैं कर सकता हूं, मैं नहीं भी कर सकता… कोई नहीं जानता मैं क्या करने वाला हूं.”
ट्रंप ने दावा किया कि ईरानी अधिकारी वॉशिंगटन में बातचीत करना चाहते हैं, लेकिन उन्होंने यह भी कहा, “अब बहुत देर हो चुकी है.” इस बीच जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन के विदेश मंत्री शुक्रवार को जिनेवा में ईरान के विदेश मंत्री से मिलेंगे ताकि उसे यह भरोसा दिलाया जा सके कि उसका परमाणु कार्यक्रम सिर्फ नागरिक उपयोग के लिए है.
युद्ध का खतरा गहराया
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने एक वीडियो संदेश में कहा, “हम धीरे-धीरे ईरान के परमाणु और मिसाइल ठिकानों को खत्म कर रहे हैं.” उन्होंने ट्रंप का धन्यवाद करते हुए उन्हें “इजरायल का सच्चा मित्र” बताया और कहा कि वे लगातार संपर्क में हैं. इजरायली सेना ने बताया कि ईरान से छोड़े गए ड्रोन को उत्तरी इजरायल और जॉर्डन घाटी में मार गिराया गया. इसके साथ ही इजरायली वायुसेना ने दावा किया कि उसने ईरान के पुलिस मुख्यालय को तबाह कर दिया है.
खामेनेई की चेतावनी
ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्ला अली खामेनेई ने शुक्रवार को एक टेलीविजन संदेश में ट्रंप को कड़ी चेतावनी दी. उन्होंने कहा, “अगर अमेरिका ने सैन्य हस्तक्षेप किया, तो उसे ऐसी क्षति होगी जो कभी पूरी नहीं हो सकेगी. ईरानी राष्ट्र कभी आत्मसमर्पण नहीं करेगा.”