Iran Israel War News: ईरान और इजरायल के बीच जंग में अब अमेरिका भी कूद पड़ा है. अमेरिका ने रविवार (22 जून, 2025) की सुबह ईरान के तीन परमाणु ठिकानों- फोर्डो, नतांज और इस्फहान पर बड़ा हवाई हमला किया. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस बारे में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रूथ सोशल पर एक पोस्ट के जरिए जानकारी दी.
1. डोनाल्ड ट्रंप ने इसके बाद सुबह देश को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने ईरान को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर ईरान ने अब भी शांति नहीं मानी तो अगली बार हमला इससे भी बड़ा होगा.
2. ट्रंप ने कहा कि इस हमले का मकसद ईरान की परमाणु हथियार बनाने की ताकत को पूरी तरह खत्म करना था. अमेरिका के ईरान पर अटैक के बाद मिडिल ईस्ट में तनाव और बढ़ गया है.
3. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा कि अमेरिका ने ईरान की परमाणु संवर्धन क्षमता को खत्म करने के उद्देश्य से सैन्य अभियान चलाया, जो पूरी तरह सफल रहा.
4. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि जिन ठिकानों को निशाना बनाया गया था, वे अब पूरी तरह तबाह कर दिए गए हैं.
5. उन्होंने ईरान से शांति का रास्ता अपनाने की अपील की, लेकिन साथ ही चेतावनी भी दी और कहा, “अगर ईरान ने शांति नहीं मानी तो अगली बार अमेरिका की प्रतिक्रिया इससे कहीं ज्यादा बड़ी होगी.”
6. अमेरिकी राष्ट्रपति का यह बयान ऐसे समय में आया है जब मिडिल ईस्ट में हालात बेहद तनावपूर्ण हैं और सभी की निगाहें ईरान की अगली प्रतिक्रिया पर टिकी हैं.
7. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि ईरान पर किए गए हमले इजरायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू के साथ मिलकर किए गए.
8. उन्होंने बताया कि दोनों ने टीम की तरह साथ काम किया. ट्रंप ने कहा, “अब ईरान के पास दो ही रास्ते हैं. या तो शांति का रास्ता अपनाए, या फिर तबाही झेले.”
9. अमेरिका द्वारा ईरान के परमाणु ठिकानों पर किए गए हमले के बाद ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराकची ने अपनी पहली सार्वजनिक प्रतिक्रिया में अमेरिका पर अंतरराष्ट्रीय कानून तोड़ने का आरोप लगाया है.
10. ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराकची ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, “संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य होते हुए अमेरिका ने ईरान के शांतिपूर्ण परमाणु ठिकानों पर हमला कर यूएन चार्टर, अंतरराष्ट्रीय कानून और एनपीटी (परमाणु अप्रसार संधि) का गंभीर उल्लंघन किया है. ” उन्होंने आगे कहा, “आज सुबह जो हुआ वह बेहद निंदनीय है और इसके गंभीर और लंबे समय तक असर होंगे. संयुक्त राष्ट्र के हर सदस्य को इस अवैध, खतरनाक और आपराधिक कार्रवाई पर चिंता करनी चाहिए.”
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