उड़ा दिया ‘फादर ऑफ तालिबान’ के बेटे को भी, मस्जिद ब्लास्ट में मारा गया हमीद उल हक हक्कानी

उड़ा दिया ‘फादर ऑफ तालिबान’ के बेटे को भी, मस्जिद ब्लास्ट में मारा गया हमीद उल हक हक्कानी


Pakistan Blast:  उत्तर पश्चिमी पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में शुक्रवार (28 फरवरी, 2025) को एक मस्जिद के सामने बड़ा बम विस्फोट हुआ, जिसमें पांच लोगों की मौत हो गई और दर्जनों घायल हो गए, लेकिन इस धमाके में पाकिस्तान में ‘फादर ऑफ तालिबान’ कहे जाने वाले मौलाना समी उल हक के बेटे मौलाना हमीद उल हक हक्कानी की भी मौत हो गई. जिओ न्यूज की ओर से इस बात की पुष्टि भी की गई है. 

रिपोर्ट के मुताबिक, खैबर पख्तूनख्वा के अखोरा खटक इलाके में दारुल उलूम हक्कानी मदरसे में यह विस्फोट हुआ. बड़ी बात ये है कि हमलावर नमाज के दौरान मस्जिद के हाल में ही मौजूद था. नमाज खत्म होते ही उसने विस्फोट कर दिया. मस्जिद में ब्लास्ट जुमे की नमाज के बाद किया गया. हैरान करने वाली बात यह है कि हक्कानी के पिता की भी शुक्रवार को ही घर में हत्या कर दी गई थी और उसके बाद मदरसे में ब्लास्ट के दौरान हक्कानी की भी मौत हो गई. मौलाना हमीद उल हक हक्कानी मदरसे के प्रमुख थे और अक्सर भारत विरोधी बयान को लेकर चर्चा का विषय बने रहते थे.

मरने वालों में तीन पुलिसकर्मी भी शामिल

दारुल उलूम हक्कानी मदरसा पेशावर से करीब 80 किलोमीटर दूर स्थित है, जहां दोपहर के 2 बजे यह धमाका हुआ. हादसा इतना भयानक था कि लोगों के शरीर के टुकड़े बिखरे नजर आए. खैबर पख्तूनख्वा के आईजी पुलिस का कहना है कि मरने वालों में तीन पुलिसकर्मी भी शामिल है. वही घायलों को पेशेवर और नौशहरा के अस्पतालों में इलाज के लिए भर्ती कराया गया है, जिनकी हालत इस समय गंभीर है. 

अक्सर विवादों में घिरा रहता था मदरसा

खैबर पख्तूनख्वा के आईजी पुलिस के मुताबिक, यह हमला मौलाना हक्कानी को निशाना बनाने के लिए किया गया, जो 2002 से 2007 तक सांसद भी रहे. काबुल और इस्लामाबाद के बीच तनाव कम करने को लेकर हक्कानी ने बीते साल मौलवियों को लेकर अफगानिस्तान का दौरा भी किया था. दारुल उलूम हक्कानी मदरसा अक्सर विवादों में घिरा रहता है क्योंकि यह तालिबानियों से ताल्लुक रखता है.

पिता की चाकू मारकर हत्या

हक्कानी के पिता मौलाना समी उल हक की भी रावलपिंडी के गैरीसन में घर में चाकू मार के हत्या कर दी गई. हालांकि, इस ब्लास्ट को लेकर अभी तक किसी ने जिम्मेदारी नहीं ली है, लेकिन कहा जा रहा है कि तालिबान के खिलाफ रहने वाले दाएश समूह इसके पीछे हो सकता है.

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