उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित धराली गांव में बादल फटने की घटना पर कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा कि यह बेहद दुखद है. हिमाचल प्रदेश और वायनाड में भी ऐसी ही घटनाएं घटी हैं. हमें रोकथाम के लिए एक व्यापक रणनीति बनाने की जरूरत है ताकि ऐसी घटनाएं बार-बार न हों. पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक मंगलवार (5 अगस्त 2025) को बादल फटने के कारण खीर गंगा नदी में आयी विनाशकारी बाढ़ में 4 लोगों की मौत हो गयी और 130 से अधिक लोगों को बचा लिया गया.
उत्तराखंड सरकार के अनुसार राज्य आपदा प्रतिवादन बल (SDRF), भारत तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) और सेना सहित अन्य राहत एजेंसियों ने मिलकर घटनास्थल से 130 से अधिक लोगों को निकालकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया है. इससे पहले घटनास्थल के लिए जाते समय उत्तरकाशी के जिलाधिकारी प्रशांत आर्य ने संवाददाताओं को बताया कि प्रारंभिक जानकारी के अनुसार घटना में चार लोगों की मौत हुई है.
उत्तरकाशी, उत्तराखंड में बादल फटने की घटना में कुछ लोगों की मृत्यु और बड़ी संख्या में लोगों के लापता होने का समाचार सुनकर मन को अत्यंत दुख पहुंचा।
ईश्वर दिवंगत आत्माओं को शांति प्रदान करें। शोक-संतप्त परिवारों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं। लापता लोगों के सकुशल होने की प्रार्थना…
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) August 5, 2025
लापता हुए लोगों की संख्या के बारे में जानकारी नहीं
बाढ़ में लापता हुए लोगों की संख्या के बारे में आधिकारिक तौर पर कोई जानकारी नहीं मिली है, लेकिन स्थानीय लोगों का मानना है कि यह संख्या 50 से अधिक हो सकती है, क्योंकि बाढ़ के पानी के तेज बहाव के कारण लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचने का मौका ही नहीं मिला. अधिकारियों ने बताया कि धराली में आई बाढ़ में कई मकान और होटल तबाह हो गए. धराली गंगोत्री धाम से करीब 20 किलोमीटर पहले पड़ता है और यात्रा का प्रमुख पड़ाव है. उन्होंने बताया कि दोपहर बाद करीब पौने दो बजे हुई इस घटना में कम से कम आधा धराली गांव मलबे और कीचड़ में दब गया. बाढ़ के पानी और मलबे के तेज बहाव में तीन-चार मंजिला मकानों सहित आस-पास की इमारतें ताश के पत्तों की तरह ढह गईं.
बादल फटने से विनाशकारी बाढ़ आई
अधिकारियों के अनुसार, खीर गंगा नदी के जलग्रहण क्षेत्र में बादल फटने से यह विनाशकारी बाढ़ आई.बाढ़ से केवल धराली ही नहीं प्रभावित हुआ. राज्य आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन ने बताया कि तेज गति से आया सैलाब एक ही पहाड़ी की दो अलग-अलग दिशाओं में बहा-एक धराली की ओर दूसरा सुक्की गांव की ओर. इस बीच, शाम तक जारी बारिश के कारण राहत एवं बचाव कार्यों में बाधा आई. इसके अलावा, राज्यभर में भूस्खलन के कारण सड़कों के अवरुद्ध होने से भी राहत कार्य में अड़चनें आईं और बचावकर्मियों को आपदाग्रस्त क्षेत्र में पहुंचने में कठिनाई हुई.
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