कन्हैया लाल हत्याकांड के आरोपी मोहम्मद जावेद की जमानत रद्द करने से सुप्रीम कोर्ट ने मना कर दिया है. कन्हैया लाल के बेटे यश तेली और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने जावेद की जमानत को चुनौती दी थी. उनका कहना था कि हाई कोर्ट ने आरोपी के खिलाफ मौजूद महत्वपूर्ण सबूतों की अनदेखी की है.
जून 2022 में उदयपुर में दर्जी का काम करने वाले कन्हैया लाल की गला काट कर निर्मम हत्या हुई थी. उन दिनों पैगम्बर मोहम्मद के बारे में बीजेपी नेता नूपुर शर्मा के एक बयान को लेकर काफी विवाद चल रहा था. कन्हैयालाल ने नूपुर का समर्थन करने वाला पोस्ट सोशल मीडिया पर शेयर किया था इसलिए मोहम्मद रियाज और मोहम्मद गौस ने उन्हें मार डाला. दोनों ने इसका वीडियो सोशल मीडिया पर प्रसारित भी किया.
आरोप है कि कई और लोगों ने रियाज और गौस को हत्या में सहयोग किया. उनमें से एक जावेद भी है. जावेद पर आरोप है कि उसने हत्यारों की मदद के लिए कन्हैया लाल की टोह ली. उसी ने कन्हैया की दुकान पर मौजदूगी की जानकारी हत्यारों को दी. 5 सितंबर, 2024 को राजस्थान हाई कोर्ट ने यह कहते हुए जावेद को जमानत दे दी थी कि मामले में उसकी भूमिका के पर्याप्त सबूत नहीं हैं.
अब सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एम एम सुंदरेश और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा ने हाई कोर्ट के आदेश में बदलाव से मना कर दिया है. जजों ने कहा कि हत्या के समय आरोपी की उम्र कम थी. वह 19 साल का था. निचली अदालत में चल रहे मुकदमे में कुल 166 गवाह हैं. उनमें से अब तक सिर्फ 8 की गवाही हुई है. ऐसे में मुकदमा पूरा होने में समय लगेगा इसलिए, आरोपी की जमानत रद्द करना सही नहीं होगा.
NIA ने जावेद को जमानत देते समय हाई कोर्ट की तरफ से की गई टिप्पणियों का भी जिक्र किया. NIA के वकील ने कहा कि इससे केस पर असर पड़ेगा. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि निचली अदालत उन टिप्पणियों से प्रभावित हुए बिना अपना काम करे. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी साफ किया कि जावेद को मिली जमानत का असर बाकी आरोपियों की जमानत याचिकाओं पर नहीं पड़ेगा. उन पर कोर्ट अलग से फैसला ले.