दिल्ली के मुस्तफाबाद में बिल्डिंग ढहने के कारण 11 लोगों की मौत हो गई. शनिवार (19 अप्रैल, 2025) को 30 वर्षीय वसीम ने अपने 25 वर्षीय साले चांद से बात करना चाह रहे पत्रकारों को दूर करते हुए कहा, ‘वह अभी खबर सुनने के लिए तैयार नहीं है. उसकी पत्नी चांदनी का अभी अस्पताल में इलाज चल रहा है और उसके माता-पिता अभी भी मलबे के नीचे दबे हैं वो उन्हें लेकर परेशान है.’
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक चांद का परिवार मुस्तफाबाद में चार मंजिला आवासीय इमारत की दूसरी मंजिल पर रहता था. शनिवार सुबह बिल्डिंग ढह जाने के कारण उनके परिवार के 8 सदस्यों सहित 11 लोगों की मौत हो गई. हाथ पर पट्टी बांधे जीटीबी अस्पताल के आपातकालीन वार्ड के बाहर खड़े चांद उन 11 लोगों में शामिल थे जिन्हें बचाया गया.
‘यूपी से आनन-फानन में दिल्ली आए वसीम’
सुबह करीब साढ़े तीन बजे जब वसीम को इस हादसे के बारे में पता चला तो वो यूपी के सिंगोली तगा गांव से आनन-फानन में निकले. उन्होंने कहा, ‘मैं ट्रेन पकड़कर जल्दी से जल्दी यहां पहुंचा. मुझे अपनी बहन की मौत की खबर सुनने का भी समय नहीं मिला. मुझे चांद का ख्याल रखना है.’ चांद ने 2020 के दिल्ली दंगों में अपने बड़े भाई आस मोहम्मद को खो दिया. शनिवार को हुए हादसे में उनकी पत्नी के अलावा उनके पिता तहसीन (60) उनके दूसरे बड़े भाई नजीम (30) भाभी शाहिना, भतीजे अनस और अफान, भतीजी आफरीन और एक दूर के रिश्तेदार इशाक (75) की मौत हो गई. चांद की मां जीनत अभी भी अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच जूझ रही है.
‘मामू जल्दी आ जाओ घर गिर गया है’
इसके अलावा बिल्डिंग की पहली मंजिल पर रहने वाले 2 लोगों की भी मौत हो गई. हादसे में जान गंवाने वाले 2 भाई दानिश (21) और नावेद (17) अपने माता-पिता शाहिद (45) और रेहाना (38) और अपनी बहन नेहा (19) के साथ रहते थे. शाहिद और रेहाना को गंभीर चोटें आने के कारण उन्हें जीटीबी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जबकि उनकी बेटी को दोपहर में छुट्टी दे दी गई. स्थानीय लोगों ने बताया कि उसने ही अपने माता-पिता को समय रहते बाहर निकाला, लेकिन वह अपने भाइयों की मदद नहीं कर सकी. अपनी बहन रेहाना की हालत को लेकर इंतजार कर रहे 40 वर्षीय सेहजाद अहमद ने कहा, ‘मुझे सुबह मेरी भतीजी का फोन आया. उसने कहा मामू जल्दी आ जाओ, घर गिर गया है. मैं सीधे अस्पताल आया और पता चला कि मेरे भतीजों की जान चली गई है.’
‘ऐसा लगा जैसे भूकंप आ गया हो’
इमारत की तीसरी मंजिल पर 38 वर्षीय रेशमा अपने पति अहमद (45) बेटे अल्फेज (20) और बेटियों आलिया (17) और तनु (15) के साथ रहती थी. रेशमा के रिश्तेदार गुलाम हुसैन ने बताया कि शनिवार को जब इमारत ढही तो उनकी नींद टूट गई. उन्होंने बताया कि ऐसा लगा जैसे भूकंप आ गया हो. मैं छत पर भागा और हवा में सिर्फ धूल दिखी, इमारत दिखाई नहीं दे रही थी. फिर किसी ने मुझे फोन करके बताया कि इमारत ढह गई है.
दिल्ली सीएम ने दिए जांच के आदेश
उन्होंने बताया, ‘मैंने सबसे पहले बच्चों (आलिया और तनु) को बाहर निकाला. यूपी से आए रेशमा के भाई फरमूद (45) ने बताया कि ग्राउंड फ्लोर पर कुछ निर्माण कार्य चल रहा था और मालिक दुकानों के लिए जगह बढ़ाने की कोशिश कर रहा था. उन्होंने कहा, ‘मैं सीधे अस्पताल आया. मैं बस अपने भतीजे और भतीजियों को देखने का इंतजार कर रहा हूं. पुलिस ने बताया कि अहमद और तनु अभी भी अस्पताल में भर्ती हैं, जबकि अल्फेज और आलिया को छुट्टी दे दी गई है.
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित कई नेताओं ने इस घटना पर शोक व्यक्त किया है, वहींं मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने इस घटना की जांच के आदेश दिए हैं.
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