Odisha Sexual Harassment Case: यौन उत्पीड़न के एक मामले में कथित तौर पर न्याय न मिलने के कारण आत्मदाह का प्रयास करने वाली 20 वर्षीय कॉलेज छात्रा के पिता ने रविवार को दावा किया कि कॉलेज प्रशासन ने उनकी बेटी पर शिकायत वापस लेने के लिए दबाव डाला था.
राजकीय फकीर मोहन (स्वायत्त) कॉलेज के प्राचार्य दिलीप घोष पर आरोप लगाते हुए पीड़िता के पिता ने भुवनेश्वर में मीडिया से कहा, ‘‘मेरी बेटी के दोस्तों ने मुझे बताया कि प्राचार्य से मिलने के कुछ ही मिनट बाद उसने खुद को आग लगा ली. वह उसके आरोपों की जांच कर रही आंतरिक शिकायत समिति (आईसीसी) के निष्कर्षों को जानने के लिए प्राचार्य के कक्ष में गई थी.’’
प्राचार्य ने कहा- आरोप निराधार
पीड़िता के पिता ने कहा, प्राचार्य ने मेरी बेटी को बताया कि आईसीसी को शिक्षा विभाग प्रमुख समीर कुमार साहू के खिलाफ उसके यौन उत्पीड़न के आरोपों के समर्थन में कोई सबूत नहीं मिला है. उन्होंने दावा किया कि इस खबर से उसकी मानसिक परेशानी और बढ़ गई होगी जिसके कारण उसने खुद को आग लगा ली.
शिकायत वापस लेने का दबाव
पीड़िता से कहा था कि झूठे आरोप लगाने पर कॉलेज प्रशासन उसके खिलाफ कार्रवाई कर सकता है. पीड़िता के पिता ने यह भी आरोप लगाया कि साहू ने धमकी दी थी कि अगर उसने उसकी मांग पूरी नहीं की, तो वह उसके शैक्षणिक रिकॉर्ड खराब कर देगा.
आरोपों को बताया गया निराधार
उन्होंने कहा कि साहू ने कुछ छात्रों को इकट्ठा किया और पीड़िता के आरोपों को निराधार बताया. पिता का कहना है कि उनकी बेटी बेहद मानसिक तनाव में थी और प्राचार्य की ओर से भी उसे कोई भावनात्मक समर्थन नहीं मिला.
प्राचार्य से मुलाकात के बाद भी नहीं मिली राहत
पीड़िता के पिता ने बताया कि उन्होंने प्राचार्य से मुलाकात कर मामले की गंभीरता बताई थी. प्राचार्य ने आश्वासन दिया था कि चिंता की कोई बात नहीं है और सभी समस्याएं सुलझा ली जाएंगी.
पिता ने सवाल उठाया कि एक 20 साल की छात्रा को आत्महत्या से रोकने में प्राचार्य कैसे असफल रहे? छात्रा ने 30 जून को शिक्षक के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी और 2 जुलाई को कॉलेज परिसर में विरोध शुरू किया था. उसने ‘एक्स’ पर भी न्याय की अपील करते हुए कई वरिष्ठ अधिकारियों को टैग किया था. उच्च शिक्षा विभाग द्वारा प्राचार्य घोष को निलंबित कर दिया गया है. घोष ने दावा किया कि उन्हें जान का खतरा है और उन्होंने बालासोर जिला प्रशासन से सुरक्षा की मांग की है.
कुलपति ने माना- तुरंत कार्रवाई होती तो टल सकती थी घटना
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर संतोष त्रिपाठी ने कहा कि यदि कॉलेज प्रशासन ने समय पर कदम उठाया होता, तो यह हादसा रोका जा सकता था. उन्होंने माना कि छात्रा ने 11 दिनों तक इंतजार किया और फिर यह कठोर कदम उठाया.
पीड़िता मानसिक रूप से मजबूत थी- पिता का भावुक बयान
पिता ने यह कहते हुए इनकार किया कि उनकी बेटी भावनात्मक रूप से कमजोर थी. उन्होंने बताया कि वह आत्मरक्षा की ट्रेनिंग देती थी, कविताएं लिखती थी और हाल ही में कॉलेज की सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री चुनी गई थी. इस मामले में उच्च शिक्षा विभाग की तीन सदस्यीय जांच समिति, जिसकी अध्यक्षता काली प्रसन्ना महापात्रा कर रहे हैं, ने प्राचार्य और आईसीसी के सदस्यों से पूछताछ की है.