भारत और मालदीव के रिश्ते पिछले दो सालों में काफी उतार-चढ़ाव भरे रहे. राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने भारत के खिलाफ ‘इंडिया आउट‘ अभियान चलाया था, लेकिन उन्हें कुछ ही महीनों में समझ आ गया कि यह मालदीव के लिए कितना घातक साबित होने वाला है. मुइज्जू अब भारत की खुशामद में लगे हैं. मुइज्जू एक समय तक चीन के हिमायती माने जा रहे थे. उन्होंने राष्ट्रपति बनने के बाद सबसे पहले दिसंबर 2023 में तुर्किए का दौरा किया था और इसके बाद जनवरी 2024 में चीन गए. जबकि मालदीव के राष्ट्रपति सबसे पहले भारत का दौरा करते आए हैं. इन तमाम हलचलों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार (25 जुलाई) को मालदीव दौरे पर पहुंचे.
मुइज्जू अब यह अच्छी तरह समझ चुके हैं कि भारत के बिना उनकी दाल कहीं नहीं गलने वाली है. ‘ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन‘ की रिपोर्ट के मुताबिक मालदीव को भारत के विरोध का कई मोर्चों पर नुकसान हुआ है. उसके सामने सबसे बड़ी चुनौती आर्थिक संकट बन सकता है. इसके साथ ही पर्यटन को भी भारी नुकसान हुआ है. उस पर रणनीतिक दबाव भी बढ़ गया है. मालदीव अब चीन के कर्ज के जाल में भी फंसा है, लिहाजा अब उसे ऐसे साथी की जरूरत है जो मदद कर सके.
मालदीव के सिर पर मंडराया आर्थिक संकट
भारत के साथ रिश्ते खराब करने पर मालदीव को कई तरह से नुकसान होगा. उसे आर्थिक मोर्चे पर घाटा उठाना पड़ सकता था, लेकिन भारत हमेशा ही दूसरे देशों की मदद के लिए आगे रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक भारत ने मालदीव को 800 मिलियन अमेरिकी डॉलर का कर्ज देकर आर्थिक सहायता की है. इससे मालदीव में हवाई अड्डा, पुल और सड़क परियोजनाओं से जुड़े काम हुए हैं. भारत ने मालदीव को 750 मिलियन डॉलर की करेंसी स्वैप की सुविधा भी दी.
भारत नहीं देगा साथ तो पर्यटन को होगा नुकसान
मालदीव की अर्थव्यवस्था में पर्यटन का बड़ा योगदान है. यह उसकी अर्थव्यवस्था का 28 प्रतिशत हिस्सा है. मालदीव में भारत से सबसे ज्यादा पर्यटक जाते हैं. 2024 में बॉयकॉट मालदीव अभियान चला था, जिससे उसे भयंकर नुकसान हुआ. आज तक की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि मालदीव को इस अभियान से 150 मिलियन अमेरिकी डॉलर का घाटा सहना पड़ा था. लिहाजा उसे पर्यटन के मोर्चे पर भी भारत की जरूरत है.
मुइज्जू पर बढ़ा कूटनीतिक दबाव
मुइज्जू की प्रो चीन नीति ने उन्हें अलग मुकाम पर लाकर खड़ा कर दिया था, लेकिन भारत की ‘नेबरवुड फर्स्ट’ नीति और विदेश मंत्री एस जयशंकर के अगस्त 2024 दौरे की वजह से दोनों देशों के संबंध कुछ बेहतर हुए. जयशंकर ने कूटनीतिक प्रयासों को देखते हुए मालदीव का दौरा किया था.
चीन के जाल में कैसे फंस गया मालदीव
दरअसल चीन ने मालदीव को 1.37 बिलियन डॉलर का कर्ज दिया है. यह भारत के मुकाबले उसके लिए काफी खतरे से भरा है. चीन अपनी विस्तारवादी निति को लेकर विश्वभर में कुख्यात है. लिहाजा मालदीव के लिए यह भी खतरे की घंटी की तरह है.