कभी ‘नीला खजाना’ तो कभी तेल का शिगूफा, PAK में बार-बार क्यों उड़ती है ऐसी अफवाह? ट्रंप के बयान

कभी ‘नीला खजाना’ तो कभी तेल का शिगूफा, PAK में बार-बार क्यों उड़ती है ऐसी अफवाह? ट्रंप के बयान


पाकिस्तान में तेल-गैस के विशाल भंडार होने का दावा लंबे समय से किया जाता रहा है, लेकिन हर बार ये दावे फुस्स हो जाते हैं, क्योंकि हकीकत इससे कोसो दूर है. 2019 में जब इमरान खान प्रधानमंत्री थे तो उन्होंने भी ऐलान किया था कि कराची के समुद्री तट से करीब 230-280 किलोमीटर दूर ईरान की सीमा के पास समुद्र में तेल और गैस का बड़ा भंडार मिलने वाला है. 

इमरान खान ने तब कहा था कि ये भंडार इतना बड़ा होगा कि पाकिस्तान न सिर्फ अपनी तेल की जरूरतें पूरी करेगा, बल्कि तेल निर्यात भी कर सकेगा. उस समय अमेरिकन कंपनी एक्सॉनमोबिल और इटेलियन कंपनी ईएनआई समुद्र में केकरा-1 नाम के ब्लॉक में ड्रिलिंग कर रही थी. 

इमरान खान के दावों ने कराई थी पाकिस्तान की फजीहत

तत्कालीनी पीएम के दावों ने उस वक्त पाकिस्तानियों में उम्मीद जगा दी थी, लेकिन कुछ ही घंटों बाद पाकिस्तान के पेट्रोलियम मंत्रालय ने साफ कर दिया कि ड्रिलिंग में कोई खास नतीजे नहीं मिले. बाद में पाकिस्तान पेट्रोलियम लिमिटेड के महानिदेशक मोईन रजा खान ने बताया कि केकरा-1 में तेल या गैस के बजाय सिर्फ पानी मिला. इस परियोजना में 124 अरब डॉलर की लागत लग चुकी थी, लेकिन सफलता की संभावना महज 12 प्रतिशत थी.

इस वजह से इमरान खान की ना सिर्फ पाकिस्तान बल्कि दुनियाभर में अच्छी खासी फजीहत हुई, क्योंकि उनके बड़े-बड़े दावों को झूठा करार दिया गया. कई आलोचकों ने कहा कि ये दावे सिर्फ विदेशी निवेशकों को लुभाने और जनता का ध्यान आर्थिक संकट से हटाने के लिए किए गए.

2024 में पाकिस्तान ने ‘नीला खजाना’ का शिगूफा छोड़ा

सितंबर 2024 में एक बार फिर से पाकिस्तानी मीडिया में खबरें चलीं कि समुद्री क्षेत्र में तेल और गैस का विशाल भंडार मिला है. दावा किया गया कि ये दुनिया का चौथा सबसे बड़ा तेल गैस भंडार हो सकता है. यहां तक कि इसका नाम नीला खजाना रख दिया गया. और कहा गया कि ये खोज तीन साल के भौगोलिक सर्वे के बाद हुई है. विशेषज्ञों ने इस दावे पर सवाल उठाए. 

ऑयल एंड गैस रेगुलेटरी अथॉरिटी (Ogra) के पूर्व सदस्य मुहम्मद आरिफ ने कहा कि खोज तो आशाजनक है लेकिन भंडार का आकार और उससे कितना तेल-गैस निकाला जा सकता है ये अभी स्पष्ट नहीं है. तेल या गैस निकालने में 4-5 साल लग सकते हैं और इसके लिए 5 अरब डॉलर से ज्यादा का निवेश चाहिए. 2024 की एक रिपोर्ट में कहा गया कि ExxonMobil और अन्य कंपनियों ने 5500 मीटर तक खुदाई की, लेकिन कोई महत्वपूर्ण भंडार नहीं मिला.

ट्रंप के बयान का पाकिस्तानी ही बना रहे मजाक

हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ऐलान किया कि अमेरिका पाकिस्तान के साथ मिलकर उसके ‘विशाल तेल भंडार’ को विकसित करेगा. ट्रंप ने तो ये तक कह दिया कि शायद एक दिन पाकिस्तान भारत को भी तेल बेचे, लेकिन इस बयान का पाकिस्तान में ही मजाक बन गया. सोशल मीडिया पर लोगों ने इसे कॉमेडी शो करार दिया. एक यूजर ने लिखा कि पाकिस्तान को ट्रंप के ट्वीट से पता चला कि हमारे पास तेल है.

बार-बार क्यों उड़ती हैं ये ख़बरें?

कई पाकिस्तानियों ने ही कहा कि ये दावे पुराने हैं और पहले भी इमरान खान के समय ऐसे वादे किए गए थे, जो खोखले साबित हुए. कुछ ने तो मजाक में कहा कि शायद पाकिस्तान ईरानी तेल को अपना बताकर बेचने की कोशिश करेगा.

विशेषज्ञों के मुताबिक पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था कर्ज और महंगाई के बोझ तले दबी है. ऐसे में तेल की खोज की खबरें जनता का ध्यान बटाने और विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने का जरिया बनती हैं. इमरान खान के समय भी ऐसा हुआ और अब ट्रंप के बयान ने फिर से इस चर्चा को हवा दी है.

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