India-China Relations: भारत और चीन के संबंधों में लगातार सुधार देखने को मिल रहे हैं. एशिया के दो सबसे ताकवर देश अपने पुराने मतभेदों को पीछे छोड़कर एक नई शुरुआत करने की कोशिश में जुटे हुए हैं. जिसका असर जमीनी स्तर पर भी दिखने लगा है. सबसे पहले, वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर सीमा विवाद सुलझाया गया और दोनों देशों के सैनिक पीछे हटे. जहां तनाव था, वहां से डिसइंगेजमेंट (Disengagement) हो गया है. इसके साथ ही, कैलाश मानसरोवर यात्रा को भी फिर से शुरू करने की घोषणा की गई है, जो कि भारत-चीन संबंधों में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है.
भारत और चीन ने सोमवार को घोषणा की कि इस साल गर्मियों में कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू होगी. इसके साथ ही दोनों देशों ने सीधी उड़ानों पर भी सहमति जताई है, जो कि 2020 से बंद थीं.
2020 से ठप थी कैलाश मानसरोवर यात्रा
कैलाश मानसरोवर यात्रा 2020 में पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी और पैंगोंगत्सो झील के पास हुई झड़पों के बाद बंद हो गई थी. इन घटनाओं के बाद भारत और चीन के बीच काफी तनाव बढ़ गया था और दोनों देशों ने LAC पर अपने-अपने सैनिकों की तैनाती बढ़ा दी थी. इसके साथ ही, दोनों देशों के बीच सीधी उड़ानें भी बंद हो गई थीं. अब पांच साल बाद यह यात्रा फिर से शुरू होगी और दोनों देशों के बीच संबंध सामान्य होने जा रहे हैं.
कैसे सुधरे दोनों देशो के रिश्ते?
भारत और चीन के रिश्तों में सुधार लगातार बातचीत के जरिए संभव हो पाया. 2020 में तनाव के बावजूद दोनों देशों ने बातचीत का सिलसिला जारी रखा और यही बातचीत आज तनावपूर्ण संबंधों को सामान्य करने में सफल हो रही है. सवाल उठता है कि आखिर इस सुधार की इनसाइड स्टोरी क्या है. दरअसल दिल्ली से करीब चार हजार किलोमीटर दूर स्थित रूस के कजान शहर में पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात हुई थी. पिछले साल अक्टूबर में ब्रिक्स समिट के इतर कजान शहर में हुई इस मुलाकात में दोनों नेताओं के बीच करीब एक घंटे की बातचीत हुई. इस दौरान सीमा पर शांति बहाल करने और कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू करने पर सहमति बनी.
पीएम मोदी और शी जिनपिंग की मुलाकात का असर
इस बातचीत के बाद दोनों देशों के बीच संबंध सुधारने के लिए वार्ता का चैनल सक्रिय हो गया. भारतीय विदेश मंत्रालय ने भी माना है कि कैलाश मानसरोवर यात्रा और सीधी उड़ानों की बहाली के पीछे पीएम मोदी और शी जिनपिंग के बीच हुई इस मुलाकात का महत्वपूर्ण योगदान है. इसके बाद विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने भी बीजिंग का दौरा किया और चीनी अधिकारियों से रिश्तों को बेहतर करने पर विस्तृत चर्चा की.
एनएसए अजीत डोभाल की चीन यात्रा
पीएम मोदी और शी जिनपिंग की मुलाकात के बाद भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने भी बीजिंग का दौरा किया था. उन्होंने चीनी विदेश मंत्री वांग यी के साथ सीमा विवाद पर चर्चा की और सैनिकों की वापसी के लिए विशेष प्रतिनिधि वार्ता के ढांचे के तहत बातचीत की. इन मुलाकातों और वार्ताओं का ही नतीजा है कि भारत और चीन के बीच संबंधों में सुधार हो रहा है.
कारोबारी रिश्ते भी मजबूत
इन कूटनीतिक प्रयासों का असर भारत-चीन व्यापारिक संबंधों पर भी पड़ा है. वर्तमान में चीन भारत का सबसे बड़ा कारोबारी साझेदार बन चुका है, जो पहले अमेरिका था. इन प्रयासों से यह स्पष्ट होता है कि भारत और चीन के बीच संबंध तेजी से सामान्य हो रहे हैं और आगे बढ़ रहे हैं.
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