वेस्ट बंगाल की राजधानी कोलकाता में पिछले साल अगस्त के महीने में एक ट्रेनी महिला डॉक्टर के साथ रेप के बाद उसकी हत्या के मामले में आज बड़ी सुनवाई होने जा रही है. अदालत आज दोपहर में मामले में दोषी करार किए गए संजय रॉय को सुनाएगी.
दरअसल, आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में पिछले साल एक महिला प्रशिक्षु चिकित्सक के साथ दुष्कर्म के बाद उसकी हत्या कर दी गई थी. जिसके बाद देशभर में उबाल देखने को मिला था. इसी मामले के मामले में दोषी करार दिए गए संजय रॉय को कोलकाता की एक अदालत आज दोपहर में सजा सुनाने जा रही है.
अगर हम संजय रॉय की बात करें तो वह कोलकाता पुलिस के बतौर वॉलंटियर काम करता था. ऐसे में आइए जानते हैं कि कोलकाता पुलिस में वॉलंटियर के रूप में कार्य करने के लिए क्या करना होता है?
कब हुई शुरुआत?
रिपोर्ट्स के अनुसार पश्चिम बंगाल में सिविक पुलिस वॉलंटियर्स की शुरुआत साल 2008 में हुई थी. इस पहल का मकसद राज्य के बेरोजगार युवाओं को एक स्थिर आय का साधन देना और पुलिस बल की मैनपावर की कमी को पूरा करना था.
क्यों हुई थी शुरुआत?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार उस दौर में राज्य पुलिस को अपने रोजमर्रा के कामकाज के लिए स्टाफ की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा था. इसे देखते हुए फैसला लिया गया कि आम नागरिकों को सिविक वॉलंटियर्स के रूप में शामिल किया जाएगा. ये वालंटियर्स पुलिसिंग के उन छोटे कार्यों में मदद करते थे, जिनमें प्रशिक्षित पुलिस कर्मियों की आवश्यकता नहीं होती. इनमें व्यस्त चौराहों पर ट्रैफिक संभालने से लेकर अन्य सहायक कार्य शामिल थे.
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भर्ती के लिए क्या थी शर्तें?
पहले इन वॉलंटियर्स की भर्ती के लिए पात्रता यह थी कि उम्मीदवार उसी क्षेत्र का निवासी होना जरूरी है. उसकी उम्र 20 साल से अधिक हो और उसने क्लास 10 तक की पढ़ाई पूरी की हो. साथ ही, उम्मीदवार का कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं होना चाहिए.
बाद में शैक्षिक योग्यता को घटाकर क्लास 8 कर दिया गया जिससे अधिक से अधिक लोग इस योजना से जुड़ सकें. शुरुआत में इन वालंटियर्स को हरी वर्दी दी गई थी, जो उनकी पहचान थी. हालांकि साल 2018 से उन्होंने नीली वर्दी पहननी शुरू की.
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