Professor Dr. G Madhavi Latha: जम्मू-कश्मीर में बने दुनिया के सबसे ऊंचे रेलवे पुल चिनाब ब्रिज का शुक्रवार (6 जून, 2025) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उद्घाटन किया. ये परियोजना 272 किलोमीटर लंबे उधमपुर-श्रीनगर-बारामुल्ला रेलवे लिंक (USBRL) का हिस्सा है और इसे 2003 में मंजूरी दी गई थी. इस पुल के सफल निर्माण में प्रोफेसर जी माधवी लता का बहुत बड़ा योगदान है.
बेंगलुरु के भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) में प्रोफेसर माधवी लता 17 वर्षों तक चिनाब ब्रिज परियोजना में भू-तकनीकी सलाहकार के रूप में शामिल रहीं. उन्होंने पुल के ठेकेदार, एफकॉन्स के साथ मिलकर संरचना की योजना, डिजाइन और निर्माण में काम किया. इस दौरान पहाड़ी इलाके को लेकर आने वाली समस्याओं पर ध्यान केंद्रित किया गया.
जानें कौन हैं, प्रोफेसर माधवी लता
जी माधवी लता वर्तमान में आईआईएससी में HAG प्रोफेसर हैं. डॉ. लता ने 1992 में जवाहरलाल नेहरू प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय से सिविल इंजीनियरिंग में बी.टेक की डिग्री हासिल की, जहां उन्होंने प्रथम श्रेणी में डिस्टिंक्शन हासिल किया.
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी वारंगल में M.Tech की पढ़ाई के दौरान उन्होंने गोल्ड मेडल जीता. उनकी विशेषज्ञता भू-तकनीकी इंजीनियरिंग में थी. डॉ. लता ने 2000 में आईआईटी-मद्रास से भू-तकनीकी इंजीनियरिंग में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की. 2021 में उन्हें भारतीय भू-तकनीकी सोसायटी की तरफ से सर्वश्रेष्ठ महिला भू-तकनीकी शोधकर्ता का पुरस्कार दिया गया.
चिनाब ब्रिज परियोजना में भूमिका
उन्हें 2022 में भारत की STEAM में टॉप 75 महिलाओं में नामित किया गया. चिनाब ब्रिज की चुनौतीपूर्ण लोकेशन, मौसम की स्थिति और अत्यधिक ऊंचाई होने के कारण इस क्षेत्र में निर्माण एक कठिन प्रयास था, लेकिन डॉ. लता की टीम ने सभी मुश्किलों को दूर करने के लिए “डिजाइन-एज़-यू-गो दृष्टिकोण” अपनाया. इसका मतलब था कि टूटी हुई चट्टानों और अलग-अलग चट्टान जैसी भूवैज्ञानिक स्थितियों के आधार पर वास्तविक समय में नवाचार करना, जो शुरुआती सर्वेक्षणों में स्पष्ट नहीं थे. स्थिरता में सुधार के लिए रॉक एंकर के डिजाइन और प्लेसमेंट डॉ. लता के प्रमुख योगदानों में शामिल था.
उन्होंने हाल ही में इंडियन जियोटेक्निकल जर्नल के महिलाओं के विशेष अंक में “डिजाइन एज़ यू गो: द केस स्टडी ऑफ़ चिनाब रेलवे ब्रिज” शीर्षक से एक पेपर प्रकाशित किया. पेपर में बताया गया है कि कैसे पुल का डिज़ाइन लगातार विकसित हुआ है, जिसमें समग्र संरचना, स्थान और भूवैज्ञानिक स्थितियां शामिल हैं.
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