कौन है आसिफ महमूद, जो अमेरिका में भारत की छवि को कर रहा खराब, आखिर क्या है उसका इरादा?

कौन है आसिफ महमूद, जो अमेरिका में भारत की छवि को कर रहा खराब, आखिर क्या है उसका इरादा?


USCIRF Commissioner Asif Mahmood : संयुक्त राज्य अमेरिका में भारत की छवि को खराब करने की कोशिश की जा रही है. संयुक्त राज्य अमेरिका की अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (USCIRF) ने भारत को लेकर एक रिपोर्ट जारी की है, जिसे भारत ने बुधवार (26 मार्च) को खारिज किया है. इस रिपोर्ट के बारे में भारत ने कहा, “आयोग की ओर से भारत के जीवंत मल्टीकल्चरल सोसायटी पर लगातार लगाए जा रहे आरोप धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर उसकी वास्तविक चिंता नहीं, बल्कि एक नियोजित और जानबूझकर बनाए गए एजेंडे को दर्शाता है.”

नई दिल्ली ने अपनी प्रतिक्रिया में इस रिपोर्ट को पक्षपाती और राजनीति से प्रेरित करार दिया. भारत ने कहा कि आयोग की भारत के लोकतंत्र और सहिष्णुता की प्रतीक की छवि को खराब करने की कोशिश कभी सफल नहीं होगी. इसके अलावा भारत ने USCIRF को एक चिंता का विषय भी कहा.

भारत के खिलाफ झूठी जानकारियों का प्रसारित करती है अमेरिकी एजेंसी

उल्लेखनीय है कि USCIRF अमेरिका की एक स्वतंत्र, द्विदलीय संघीय सरकारी एजेंसी है. यह एजेंसी अमेरिका के राष्ट्रपति, विदेश मंत्री और कांग्रेस को नीतियों से संबंधित सिफारिशें करती है. इसके अलावा इन सिफारिशों के क्रियान्वयन पर अपनी निगरानी की करती है. हालांकि, कई रिपोर्ट के मुताबिक, यह एजेंसी भारत के बारे में झूठी जानकारियां फैलाती रही है. खासकर तब से जब पाकिस्तानी मूल के अमेरिकी नागरिक असिफ महमूद को इस आयोग के एक कमिश्नर के तौर पर नियुक्त किया गया है.

कौन है USCIRF का कमिश्नर आसिफ महमूद?

आसिफ महमूद एक पाकिस्तानी-अमेरिकी एक्टिविस्ट है और वर्तमान में USCIRF के कमिश्नर के तौर पर कार्यरत है. एजेंसी की वेबसाइट के अनुसार, असिफ एक प्रैक्टिसिंग फिजिशियन, मानवाधिकार कार्यकर्ता, इंटर रेसियल और इंटर-फेथ कम्युनिटी ऑर्गनाइजर और एक फिलैंथ्रोपिस्ट हैं. कई रिपोर्टों का यह भी दावा किया गया है कि आसिफ महमूद मानवाधिकार के नाम पर भारत के खिलाफ प्रोपगेंडा चलाता है.

खालिस्तानी आतंकियों को मौत के लिए भारत के खिलाफ फैलाया था प्रोपगेंडा

आसिफ ने मई 2024 में अमेरिका, कनाडा और पाकिस्तान में खालिस्तानी आतंकियों की हुई हत्या में कथित तौर पर भारत की साजिश की थ्योरी फैलाई थी. हालांकि, उसने अपनी बातों को साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं दिया था.



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