Vaibhav Taneja: भारतीय मूल के वैभव तनेजा, जो कि इलेक्ट्रिक कार कंपनी Tesla के Chief Financial Officer (CFO) हैं, 2024 में अपनी रिकॉर्डतोड़ कमाई को लेकर दुनियाभर में चर्चा में आ गए हैं. उन्होंने इस साल कुल 139.5 मिलियन डॉलर (लगभग 1160 करोड़ रुपये) का पैकेज हासिल किया है, जो कि Satya Nadella (Microsoft) और Sundar Pichai (Google) जैसे दिग्गज CEO से कहीं ज्यादा है. दिल्ली यूनिवर्सिटी से शुरू हुई उनकी यह यात्रा अब वैश्विक सफलता की मिसाल बन चुकी है.
दिल्ली से वॉल स्ट्रीट तक की कहानी
वैभव तनेजा ने 1999 में दिल्ली यूनिवर्सिटी से कॉमर्स में ग्रेजुएशन किया और उसके बाद चार्टर्ड अकाउंटेंट बने. फिर उन्होंने अमेरिका में Certified Public Accountant (CPA) की उपाधि भी 2006 में हासिल की. उन्होंने लगभग 17 साल PwC (PricewaterhouseCoopers) में भारत और अमेरिका में काम किया. 2016 में वे SolarCity से जुड़े और जब यह कंपनी 2017 में Tesla में विलय हुई, तब उनकी असली उड़ान शुरू हुई.
टेस्ला में तेज़ी से तरक्की
टेस्ला में तनेजा ने कॉर्पोरेट कंट्रोलर के रूप में शुरुआत की. फिर 2018 में वे Corporate Controller, 2019 में Chief Accounting Officer और आखिरकार अगस्त 2023 में CFO बने. इसके साथ ही वे Tesla India Motors and Energy के डायरेक्टर भी हैं और भारत में टेस्ला की रणनीति को आकार देने में अहम भूमिका निभा रहे हैं.
139.5 मिलियन डॉलर की कमाई
2024 में मिली उनकी कमाई का बड़ा हिस्सा शेयरों पर आधारित है, जो अगले 4 वर्षों में पूरी तरह वेस्ट होगी. जब यह पैकेज तय हुआ, तब टेस्ला के शेयर की कीमत $250 थी, जो बाद में बढ़कर $342 हो गई — जिससे उनकी कुल कमाई का आंकड़ा और ऊंचा हो गया. यह रकम Satya Nadella (79.1 मिलियन डॉलर) और Sundar Pichai (10.7 मिलियन डॉलर) से कहीं ज्यादा है. यहां तक कि यह 2020 में Nikola के CFO द्वारा बनाए गए 86 मिलियन डॉलर के रिकॉर्ड को भी पार कर गई.
बढ़ती आलोचनाओं के बीच सवाल भी
टेस्ला फिलहाल इलेक्ट्रिक गाड़ियों की घटती बिक्री और प्रॉफिट मार्जिन में गिरावट जैसी चुनौतियों का सामना कर रही है. ऐसे में तनेजा की इतनी बड़ी सैलरी पर सवाल उठना लाज़मी है. हालांकि कंपनी का मानना है कि कठिन समय में अनुभवी वित्तीय नेतृत्व को पुरस्कृत करना जरूरी है, ताकि कंपनी को स्थिरता और विकास मिल सके.
सादगी में सफलता की पहचान
वैभव तनेजा किसी चमक-धमक वाले व्यक्ति नहीं हैं, बल्कि वे शांत और रणनीतिक सोच के लिए जाने जाते हैं. अपने दो दशकों के अनुभव और मेहनत से उन्होंने दिखा दिया कि काबिलियत, समर्पण और वैश्विक सोच के साथ कोई भी व्यक्ति अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक मिसाल बन सकता है, खासकर प्रवासी भारतीयों के लिए.
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