पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने जिस सख्ती से जवाब दिया, उससे पाकिस्तान बौखला गया. उसने बदले की नीयत से जम्मू-कश्मीर, पंजाब, गुजरात और राजस्थान के इलाकों में ड्रोन के जरिए हमले की कोशिश की. लेकिन भारत के एडवांस डिफेंस सिस्टम ने पाक के इन नापाक इरादों को हवा में ही खत्म कर दिया. सभी ड्रोन मार गिराए गए और एक बार फिर भारत की तैयारियों की पूरी दुनिया में तारीफ हुई.
इस बीच शनिवार शाम 5 बजे से भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम (सीजफायर) लागू हो चुका है. दोनों देशों के बीच बनी इस सहमति के पीछे एक बड़ी भूमिका भारतीय सेना के DGMO यानी डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशन्स की रही है. विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने बताया कि पाकिस्तानी DGMO ने फोन कर संघर्ष विराम पर सहमति जताई थी.
DGMO कौन होता है और क्या करता है?
भारतीय सेना में DGMO एक वरिष्ठ लेफ्टिनेंट जनरल होता है, जो 3-स्टार रैंक का अधिकारी होता है. इसका मुख्य काम देश की रक्षा नीति को जमीन पर उतारना होता है. DGMO सीधे आर्मी चीफ को रिपोर्ट करता है और थलसेना, नौसेना व वायुसेना के बीच तालमेल का काम भी करता है.
इनकी जिम्मेदारियों में युद्ध की रणनीति बनाना, आतंकवाद के खिलाफ अभियान चलाना, शांति मिशन की निगरानी और एलओसी पर तनाव को संभालना शामिल है. पाकिस्तान के खिलाफ ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान भी DGMO ने पाकिस्तानी DGMO से बातचीत कर माहौल को नियंत्रण में लाने में बड़ी भूमिका निभाई थी.
DGMO की सैलरी कितनी होती है?
DGMO की सैलरी भी उनकी जिम्मेदारियों जितनी ही बड़ी होती है. 7वें वेतन आयोग के मुताबिक, लेफ्टिनेंट जनरल की बेसिक सैलरी 1,82,200 से 2,24,100 तक होती है. इसके अलावा मिलिट्री सर्विस पे, डीए और अन्य भत्तों को जोड़ने पर उनकी कुल सैलरी 2.5 लाख से 3 लाख प्रतिमाह तक पहुंच जाती है. साथ ही उन्हें सरकारी आवास, मेडिकल सुविधा और वाहन जैसी कई सुविधाएं भी दी जाती हैं.
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