क्या अमेरिका और जापान में बढ़ती बॉन्ड यील्ड से ग्लोबल इकोनॉमी काे है खतरा?

क्या अमेरिका और जापान में बढ़ती बॉन्ड यील्ड से ग्लोबल इकोनॉमी काे है खतरा?


Global Economy: दुनियाभर के बॉन्ड मार्केट में उथल-पुथल मची हुई है. रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, बुधवार को 40 साल के जापानी सरकारी बॉन्ड पर यील्ड नए रिकॉर्ड पर पहुंच गई. जबकि अमेरिका में 30 साल के ट्रेजरी बॉन्ड पर यील्ड 5 परसेंट के पार चली गई. एक्सपर्ट्स इसे पश्चिमी बॉन्ड मार्केट के लिए एक चेतावनी के रूप में देख रहे हैं. कैपिटलमाइंड के सीईओ दीपक शेनॉय ने 20 मई को एक्स पर एक पोस्ट के जरिए बताया कि दुनियाभर में डेब्ट मार्केट में कुछ भयंकर हो रहा (हालांकि भारत में स्थिति ठीक है) और यील्ड बढ़ रही है. इस समस्या की वजह जापान होगा. 

जापान में बढ़ते बॉन्ड यील्ड का अमेरिकी बॉन्ड पर असर

इंडियाबॉन्ड्स डॉट कॉम के को-फाउंडर विशाल गोयनका का अनुमान है कि दरअसल, जापान में बढ़ते बॉन्ड यील्ड का अमेरिकी बॉन्ड पर भी गहरा असर पड़ सकता है. चूंकि जापान 1.13 ट्रिलियन डॉलर के अमेरिकी बॉन्ड के सबसे बड़े खरीदारों में से एक है इसलिए जापानी यील्ड में बढ़ोतरी का असर अमेरिकी ट्रेजरी मार्केट में भी महसूस किया जाएगा.

द मिंट की रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने कहा, ”डर इस बात का है कि जापानी निवेशक अब यूएसटी बेचकर जेजीबी खरीद सकते हैं. ऐसा साल 2000 के बाद से नहीं देखा गया.” यहां बस इस बात का ध्यान रखें कि बॉन्ड की कीमत बढ़ने पर यील्ड घटती है और बॉन्ड की कीमत घटने पर यील्ड बढ़ जाती है.

भारत की स्थिति है मजबूत

इस दौरान भारत की स्थिति ठीक बनी हुई है. महंगाई काबू में है. विदेशी मुद्रा भंडार 691 अरब डॉलर है. ऐसे में ग्लोबल इकोनॉमी में आए किसी संकट का मुकाबला दूसरे उभरते बाजारों के मुकाबले भारत बेहतर तरीके से कर सकता है. हालांकि, गोयनका ने चेताया कि सरकारी बॉन्ड में आई तेजी के बढ़ते असर से भारत के भी अछूते रहने की संभावना नहीं है. 

बढ़ती बॉन्ड यील्ड की क्या है वजह?  

अमेरिकी बॉन्ड यील्ड बढ़ने का असर मंगलवार को ही देखने को मिला. इस दौरान विदेशी निवेशकों की भारी बिकवाली हुई. इसके चलते भारतीय शेयर बाजार से 10,000 करोड़ रुपये का आउटफ्लो हुआ. जियोजित इन्वेस्टमेंट के चीफ इंवेस्टमेंट स्ट्रैटेजिस्ट ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो बाजार में इसका असर पड़ने की संभावना है. उन्होंने इसके पीछे जिम्मेदार कई कारण भी बताए- अमेरिकी सॉवरेन डैब्ट की क्रेडिट रेटिंग में गिरावट, इसके परिणामस्वरूप अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में उछाल, जापानी सरकारी बॉन्ड यील्ड में उछाल, भारत के कुछ हिस्सों में बढ़ते कोविड के मामले और ईरान पर इजरायल के हमले की संभावना वगैरह. 

ये भी पढ़ें:

जमीन पर धूल, चारों ओर सन्नाटा… दुबई में रातोंरात गायब हुई कंपनी, मोटा पैसा लगाने वाले निवेशक अब पीट रहे माथा

 



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *