Prashant Kishor: 2025 के अंत में बिहार विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं और राजनीतिक गतिविधियां तेज हो चुकी हैं. एनडीए, महागठबंधन और अन्य क्षेत्रीय दल चुनावी मोर्चा संभालने में जुट गए हैं. इस बीच राजधानी दिल्ली में एनडीए गठबंधन की एक महत्वपूर्ण बैठक हुई, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में लगभग 18 से 20 राज्यों के मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री शामिल हुए.
यह बैठक जहां एक ओर देशभर में एनडीए सरकारों के कामकाज के तालमेल को मजबूत करने के लिए थी, वहीं दूसरी ओर बिहार की राजनीति में एक नया मोड़ लेकर आई है. जनसुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने एक बड़ा बयान दिया है. उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर सीधे-सीधे हमला बोला और दावा किया कि नीतीश कुमार शारीरिक और मानसिक रूप से फिट नहीं हैं.
नीतीश कुमार के चाटुकार मंत्री- प्रशांत किशोर
प्रशांत किशोर ने यह सवाल नीति आयोग की बैठक में नीतीश कुमार की अनुपस्थिति को लेकर उठाया. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार की हालत ठीक नहीं है, इसलिए वह नीति आयोग की बैठक में नहीं गए क्योंकि वहां देश के मुख्यमंत्री होते, मीडिया होती, कुछ बोलना पड़ता. उन्होंने आगे कहा कि नीतीश कुमार को उनके अफसर और कुछ “चाटुकार मंत्री” छिपाकर रखते हैं ताकि उनकी हालत किसी के सामने उजागर न हो.
क्या थी एनडीए मीटिंग और नीति आयोग बैठक की कहानी?
दिल्ली में हुई एनडीए की इस बैठक में गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा जैसे बड़े नेता मौजूद थे. इसका उद्देश्य राज्यों की एनडीए सरकारों के बीच सामंजस्य बढ़ाना और विकासात्मक एजेंडा पर चर्चा करना था. दूसरी ओर, नीति आयोग की बैठक एक औपचारिक मंच थी, जहां राज्य सरकारों के प्रतिनिधियों को देश के समग्र विकास पर अपनी बात रखने का अवसर मिलता है. इस बैठक में नीतीश कुमार की गैरमौजूदगी पर विपक्ष ही नहीं, अब एनडीए से जुड़े नेता भी सवाल उठाने लगे हैं.
प्रशांत किशोर का तर्क
प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार से हेल्थ पर सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि अगर किसी सामान्य नागरिक को सिपाही बनने के लिए फिजिकल टेस्ट देना होता है तो बिहार के मुख्यमंत्री को क्यों नहीं? उन्होंने कई उदाहरण देते हुए नीतीश कुमार की हाल की गतिविधियों को असामान्य व्यवहार बताया, जैसे किसी महिला को मंच पर पकड़ना या शोकसभा में गीत गाना. उन्होंने इसे मानसिक असंतुलन का संकेत माना.
चुनावी रणनीति या राजनीतिक शिष्टाचार?
प्रशांत किशोर के बयान का समय और तेवर इस ओर संकेत करते हैं कि यह बयान सिर्फ एक आलोचना नहीं, बल्कि चुनावी रणनीति का हिस्सा हो सकता है. वे पहले भी नीतीश कुमार के खिलाफ इसी तरह के बयान दे चुके हैं, लेकिन इस बार उन्होंने इसे अधिक स्पष्टता और तीव्रता से रखा. उनका दावा है कि बीजेपी सिर्फ 12 सांसदों के समर्थन की वजह से नीतीश कुमार को बनाए रखना चाहती है, जनता और विकास से उन्हें कोई मतलब नहीं.