Turkey To Sell S-400 to Pakistan: दुनिया भर में भू-राजनीतिक समीकरण तेजी से बदल रहे हैं और भारत की सुरक्षा नीति के लिए एक और बड़ा सिरदर्द उभर सकता है. वह एयर डिफेंस सिस्टम जिसने भारत को पाकिस्तान की तरफ से आने वाले हवाई खतरों से बचाया. अब वही S-400 सिस्टम भारत के दुश्मन पाकिस्तान के हाथों में जा सकता है. यह दावा तुर्किए के एक पूर्व मंत्री ने किया है. तुर्किए, जिसने 2.5 अरब डॉलर में रूस से यह सिस्टम खरीदा था, अब अमेरिका से बेहतर रिश्ते बनाने के लिए इस सिस्टम से पल्ला झाड़ने की तैयारी में है.
यह मामला सिर्फ सैन्य तकनीक का नहीं, बल्कि भारत और तुर्किए के बीच एक नए ‘कोल्ड वॉर’ का संकेत भी देता है. पिछले एक दशक में भारत-तुर्किए संबंधों में आई तल्खी अब खुलकर सैन्य रणनीति के स्तर पर टकराव की ओर बढ़ रही है.
भारत-तुर्किए के बीच बढ़ती रणनीतिक खाई
भारत और तुर्किए, अब वैश्विक कूटनीति के दो विपरीत ध्रुवों पर दिखाई दे रहे हैं. हाल ही में भारत ने जब तुर्किए के विरोधी साइप्रस और ग्रीस के साथ कूटनीतिक और सैन्य साझेदारी बढ़ाई, तो यह एक स्पष्ट संदेश था कि भारत तुर्किए की पाकिस्तान के साथ बढ़ती निकटता को हल्के में नहीं ले रहा. ग्रीस की यात्रा पर गए भारतीय वायुसेना प्रमुख और प्रधानमंत्री मोदी की साइप्रस यात्रा इसी का हिस्सा हैं.
वहीं, तुर्किए ने पाकिस्तान के साथ मिलकर कई सैन्य परियोजनाएं शुरू की हैं और विभिन्न वैश्विक मंचों पर भी पाकिस्तान का समर्थन किया है. अब S-400 जैसे अत्याधुनिक सिस्टम को पाकिस्तान को बेचना, भारत के लिए एक नई चुनौती बन सकता है.
तुर्किए छोड़ना चाहता है S-400, अमेरिका से F-35 पाने की चाह
तुर्किए ने 2017 में रूस से S-400 डिफेंस सिस्टम का सौदा किया था, लेकिन इसके चलते उसे अमेरिका के F-35 फाइटर जेट प्रोग्राम से बाहर कर दिया गया और CAATSA प्रतिबंध भी झेलने पड़े. अब तुर्किए अमेरिका के साथ संबंध सुधारना चाहता है और ‘स्टील डोम’ नाम से एक नया मल्टी-लेयर एयर डिफेंस सिस्टम विकसित कर रहा है.
‘स्टील डोम’ पूरी तरह घरेलू होगा, जिसमें तुर्किए की रक्षा कंपनियां ASELSAN, ROKETSAN और MKE काम कर रही हैं. तुर्किए ने साफ कर दिया है कि इस सिस्टम में रूसी S-400 को शामिल नहीं किया जाएगा. यही संकेत हैं कि तुर्किए S-400 से पीछा छुड़ाने की तैयारी में है और वह F-35 प्रोग्राम में फिर से शामिल होने की कोशिश कर रहा है.
क्या पाकिस्तान को बेचा जाएगा S-400?
तुर्किए के पूर्व मंत्री कैविट कैगलर ने यह बयान देकर सनसनी फैला दी कि तुर्किए को S-400 को बेचने पर विचार करना चाहिए और इसके संभावित खरीदार भारत या पाकिस्तान हो सकते हैं. हालांकि उन्होंने पाकिस्तान को प्राथमिकता दी, लेकिन यह सिर्फ अटकल है, कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं. हकीकत यह है कि तुर्किए, S-400 को न तो अपने नेटवर्क में पूरी तरह एकीकृत कर पाया है, न ही उसने इसे सक्रिय किया है. ऐसे में इस सिस्टम को बेचकर वह अमेरिका को संतुष्ट करने की सोच सकता है.
पाकिस्तान को S-400 की बिक्री कितनी संभव?
हालांकि, तकनीकी और कूटनीतिक तौर पर यह उतना आसान नहीं है. तुर्किए का रूस से हुआ समझौता यह स्पष्ट करता है कि वह S-400 को किसी अन्य देश को न तो ट्रांसफर कर सकता है और न ही बेच सकता है, जब तक रूस से इसकी पूर्व अनुमति न हो. और यह अनुमति मिलना लगभग असंभव है.
रूस न सिर्फ भारत का रणनीतिक साझेदार है, बल्कि उसने भारत को S-400 की पांच स्क्वाड्रन पहले ही दी हैं. रूस यह नहीं चाहेगा कि भारत के प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान के पास वही सिस्टम हो. साथ हीपाकिस्तान की आर्थिक स्थिति भी S-400 जैसे महंगे सिस्टम को खरीदने की नहीं है. एक स्क्वाड्रन की कीमत लगभग 500 मिलियन डॉलर है.
भारत को मिल सकता है S-400 का अतिरिक्त बैच
वहीं दूसरी ओर, भारत और रूस के बीच S-400 के अतिरिक्त बैच और S-500 सिस्टम को लेकर भी बातचीत चल रही है. भारत पहले से ही इन सिस्टम्स का ऑपरेटर है और रूस को भारत पर भरोसा भी है. ऐसे में अगर तुर्किए S-400 से छुटकारा पाना चाहता है तो भारत इसके लिए एक व्यवहारिक खरीदार बन सकता है. बशर्ते रूस इसकी इजाजत दे.
फिलहाल, तुर्किए के पास मौजूद दोनों S-400 यूनिट्स निष्क्रिय पड़ी हैं और किसी गुमनाम जगह पर रखी गई हैं. तुर्किए इसे एक्टिव नहीं करना चाहता ताकि NATO और अमेरिका के साथ संबंध बेहतर बनाए रख सके.