गाजा में मान ली डील, लेकिन लेबनान से सेना वापसी पर झुकने को तैयार नहीं हैं नेतन्याहू!

गाजा में मान ली डील, लेकिन लेबनान से सेना वापसी पर झुकने को तैयार नहीं हैं नेतन्याहू!


IDF Withdrawal From Lebanon: इजरायल और हमास के बीच 42 दिवसीय सीजफायर लागू है. इस दौरान हमास की ओर से अगवा किए गए 33 बंधकों को छोड़ा जाएगा और इजरायली जेलों में बंद 737 फिलिस्तीनी कैदियों को भी रिहा किया जाएगा.  इस बीच लेबनान में इजरायली सेना की तैनाती को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं. दरअसल हमास के साथ समझौते की कई शर्तों में एक शर्त है कि इजरायली सेना गाजा की आबादी वाले इलाके से दूर चली जाएंगी. हालांकि ऐसा ही एक समझौता लेबनान के साथ नवंबर में किया गया था लेकिन इजरायली सेना अब भी वहां मौजूद है. 

हिब्रू मीडिया आउटलेट वाईनेट की रिपोर्ट में एक अनाम वरिष्ठ इजरायली अधिकारी का हवाला देते हुए कहा गया है कि इजरायल नवंबर में हस्ताक्षरित युद्धविराम समझौते में निर्धारित समय सीमा से परे दक्षिणी लेबनान के कुछ हिस्सों में सैनिकों को तैनात रखे हुए है. 

लेबनानी इलाकों में अब भी मौजूद है आईडीएफ

रिपोर्ट के मुताबिक, लेबनान से सेना वापस लेने को लेकर इजरायली सुरक्षा कैबिनेट को कल रात एक लंबी बैठक के दौरान जमीनी स्थिति की जानकारी मिली, लेकिन इस बात पर सहमति नहीं बन पाई कि सरकार को आईडीएफ की वापसी को हरी झंडी देनी चाहिए या 30 दिन के विस्तार पर जोर देना चाहिए. 

लेबनान के साथ युद्धविराम की शर्तों के तहत, इज़रायली रक्षा बलों को 26 जनवरी तक दक्षिणी लेबनान में अपने सभी ठिकानों को सौंपना अनिवार्य है.  हालांकि, इज़राइल ने कथित तौर पर 30 दिनों के विस्तार का अनुरोध किया है, यह दावा करते हुए कि लेबनानी सेना इस इलाके में तैनाती बहुत धीरे कर रही है, इससे हिज्बुल्लाह को संगठित होने का वक्त मिलेगा.

लेबनान में IDF के ठहरे रहने के पीछे क्या है अमेरिका कनेक्शन?

टाइम्स ऑफ इजरायल के मुताबिक, अमेरिका की मौजूदा ट्रंप प्रशासन का हाथ इजरायल के सिर पर पहले की तरह नहीं है, फिलहाल लेबनान से सेना की वापसी को लेकर अमेरिका और इजरायल में बातचीत जारी है. टाइम्स ऑफ इजरायल ने आर्मी रेडियो के एक रिपोर्ट के हवाले से बताया है कि अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चाहते हैं कि इजरायली सेना जल्द से जल्द यानी रविवार (26 जनवरी 2025) तक लेबनान से वापस लौट आए. जबकि ट्रंप के पूर्ववर्ती जो बाइडेन 30 दिनों के एक्सटेंशन के पक्ष में थे.

ये भी पढ़ें:

अडानी ग्रुप के साथ डील कैंसिल या नहीं? श्रीलंका से आईं दो तरह की रिपोर्ट, पढ़ें पूरा मामला



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *