PM Modi In Mauritius: भारतीय जनता पार्टी आगामी बिहार विधानसभा चुनाव को जीतने के लिए किस हद तक प्रयासरत है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पीएम मोदी की विदेश यात्रा में भी बिहार की जनता को लुभाने के तरीके खोज लिए गए.
पीएम मोदी अभी मॉरीशस यात्रा पर हैं. यहां उन्हें सर्वोच्च सम्मान से नवाजा गया. जब वह मॉरीशस पहुंचे तो उनका स्वागत एक भोजपुरी गीत से किया गया. इसके बाद जब पीएम मोदी के भाषण की बारी आई तो इसकी शुरुआत भी भोजपुरी से ही हुई. यहीं नहीं पीएम मोदी ने मॉरीशस के प्रधानमंत्री को गिफ्ट के तौर पर भी बिहार में बने मखाने भेंट किए.
दरअसल, इस साल के आखिरी में बिहार में विधानसभा चुनाव होने हैं. आज तक बिहार में कभी भी बीजेपी ने अपने दम पर सरकार नहीं बनाई है, न ही यहां कभी बीजेपी का मुख्यमंत्री बना है. हालांकि इस बार पार्टी यहां हर हाल में एकतरफा कमल खिलाने की कोशिश में लगी हुई है.
‘गवई’ गीत से स्वागत
गीत ‘गवई’ भोजपुरी का एक पारंपरिक गीत है. इसे शादी ब्याह और खुशी के मौकों पर गाया जाता है. 2016 से ये गीत यूनेस्को की सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है. पीएम मोदी जब मॉरीशस की राजधानी पोर्ट लुईस पहुंचे तो महिलाओं के एक समूह ने इस भोजपुरी गीत के साथ उनका स्वागत किया. इस दौरान पीएम मोदी भी देर तक इस गीत पर तालियां बजाते नजर आए.
भाषण और पोस्ट भोजपुरी में
पीएम मोदी ने मॉरीशस में अपने भाषण की शुरुआत भोजपुरी से की. उनके सोशल मीडिया अकाउंट से इस यात्रा पर पोस्ट भी भोजपुरी में की गई. इसके साथ-साथ यह भी देखा गया कि बीजेपी के कई नेता और कार्यकर्ताओं ने भी मॉरीशस दौरे पर भोजपुरी में पोस्ट की. यह सब बताता है कि बीजेपी की बिहार चुनाव को लेकर रणनीति कितनी तगड़ी है.
बिहार के मखाने
इस बार बजट में बिहार के लिए केंद्र ने पिटारा खोल दिया था. इसमें बिहार में मखाना उद्योग के लिए भी कई योजनाएं लाई गईं थी. अब जब पीएम मोदी मॉरीशस में हैं तो उन्होंने यहां के प्रधानमंत्री नवीन रामगुलाम को बिहार के मखाने ही गिफ्ट के तौर पर भेंट किए. यह साफ है कि पीएम मोदी इस गिफ्ट के जरिए बिहार की जनता को क्या संदेश देना चाहते हैं.
मॉरीशस में ही बिहार चुनाव का रंग क्यों?
दरअसल, मॉरीशस को मिनी बिहार कहा जाता है. अंग्रेजों के वक्त बड़ी संख्या में बिहार के लोगों को मजदूरी के लिए मॉरीशस ले जाया गया था. साल 1834 में पहली बार अंग्रेज बिहारी मजदूरों को मॉरीशस लेकर गए थे. यह सिलसिला आगे चलता रहा और धीरे-धीरे यहां बड़ी संख्या में बिहारी बस गए. यहां 70 फीसदी लोग भारतीय मूल के हैं. 54 फीसदी मॉरीशस के लोग भोजपुरी बोलते हैं. यहीं कारण है कि पीएम मोदी ने यहां एक तीर से दो निशाने साधने के काम किए.
भोजपुरी में गीत, भाषण और पोस्ट क्यों?
बिहार में भोजपुरी वाले बक्सर, आरा, सासाराम, काराकाट, औरंगाबाद सीट पर पिछले साल एनडीए को हार मिली, जबकि ये इलाका और इन सीटों पर बीजेपी का सालों से दबदबा माना जाता रहा है. पिछले साल भोजपुरी बेल्ट में बीजेपी के दिग्गज आरके सिंह और अश्विनी चौबे जैसे केंद्रीय मंत्री चुनाव हारे थे. अभी विधानसभा के चुनाव होने हैं ऐसे में बीजेपी के लिए भोजपुरी रीजन को साधना बहुत जरूरी है.
बिहार में भोजपुरी एक बड़े हिस्से में बोली जाती है. जिलों के हिसाब से बांटें तो कुल 10 जिले हैं जो भोजपुर, सारण और चंपारण तक फैले हुए हैं. भोजपुरी बेल्ट के 10 जिलों में विधानसभा की 73 सीटें हैं. इनमें 2020 में महागठबंधन को 45 सीटें मिली थी, एनडीए को 27 और 1 सीट बीएसपी के खाते में गई थी.
भोजपुरी रीजन के सिर्फ चंपारण में बीजेपी ने अच्छा प्रदर्शन किया था. भोजपुर और सारण में एनडीए का मानो सुपड़ा साफ हो गया था. 2020 के विधानसभा चुनाव में बक्सर, रोहतास, कैमूर और औरंगाबाद जिलों में एनडीए का खाता तक नहीं खुल पाया था. साल 2020 का नतीजा ही आम चुनाव 2024 में रिपीट हुआ. यानी भोजपुरी बोलने वालों का मूड नहीं बदला. संभवतः मॉरीशस में पीएम मोदी की भोजपुरी इसी खाई को भरने की एक कोशिश है.
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