भविष्य कौन देख सकता है? आमतौर पर इस सवाल का जवाब होता है बाबा वेंगा जैसे भविष्यवक्ता या फिर कोई वैज्ञानिक सोच रखने वाला इंसान, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि एक वीडियो गेम भी आने वाले सालों की झलक दिखा सकता है? सुनने में थोड़ा अजीब लगे, मगर Call of Duty: Black Ops II नाम के इस गेम ने ऐसा कर दिखाया है.
2012 में रिलीज हुआ ये मिलिट्री बेस्ड गेम आज अचानक फिर चर्चा में है. वजह है इसकी कहानी, जो सीधे-सीधे अमेरिका और चीन के बीच चल रही खींचतान से मेल खा रही है. गेम में दिखाई गई काल्पनिक घटनाएं आज की रियल वर्ल्ड जियो-पॉलिटिक्स से काफी मिलती-जुलती नजर आ रही हैं.
गेम या टाइम मशीन?
Call of Duty: Black Ops II की कहानी 2025 की एक काल्पनिक दुनिया पर आधारित है. उस वक्त ये सिर्फ एक थ्रिलर गेम लग रहा था, जिसमें हाई-टेक हथियार, ड्रोन अटैक्स और ग्लोबल इकोनॉमिक वॉर जैसे एलिमेंट्स शामिल थे. लेकिन अब, जब हम असली दुनिया में 2025 के दरवाजे पर खड़े हैं तो वही चीजें सच होती नजर आ रही हैं.
गेम में एक सीन है जिसमें चीन की इकोनॉमी पर साइबर हमला होता है और उसके बदले में चीन कुछ ऐसे खनिजों की सप्लाई रोक देता है. जिन पर दुनिया की टेक इंडस्ट्री टिकी है. अब जरा असल दुनिया में देखें तो चीन वाकई में दुर्लभ खनिजों (rare earth metals) का सबसे बड़ा सप्लायर है और अमेरिका के साथ उसकी टेंशन इन पर गहराती जा रही है. टेक्नोलॉजी सेक्टर, खासकर मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री पर इसका सीधा असर पड़ रहा है.
अमेरिका बनाम चीन
गेम की स्क्रिप्ट में दिखाया गया है कि कैसे दो बड़ी महाशक्तियां आपस में ट्रेड और टेक्नोलॉजी को लेकर उलझ जाती हैं. अब जब अमेरिका और चीन के बीच एक तरह का ‘आर्थिक युद्ध’ चल रहा है, जिसमें टैरिफ, साइबर जासूसी और सप्लाई चेन की राजनीति शामिल है तो लोगों को लगने लगा है कि शायद गेम डेवेलपर्स को उस वक्त ही पता था कि आगे क्या होने वाला है!
कुछ लोग तो मजाक में कह रहे हैं कि अमेरिका की विदेश नीति शायद व्हाइट हाउस नहीं, बल्कि Call of Duty की स्टोरी से बन रही है.
तारीखों का कमाल या इत्तेफाक?
इतना ही नहीं गेम में जो तारीखें दिखाई गई हैं, खासकर 19 और 20 अप्रैल वो भी आज के हालातों से जुड़ती नजर आ रही हैं. जैसे-जैसे ये तारीखें नजदीक आईं, सोशल मीडिया पर गेम की ‘भविष्यवाणी’ के चर्चे शुरू हो गए. कुछ लोग इसे महज इत्तेफाक मानते हैं, लेकिन बहुत से लोग मान रहे हैं कि गेम्स अब महज टाइमपास नहीं, बल्कि सोची-समझी स्क्रिप्टिंग से आने वाले कल का आइना भी बन सकते हैं.
गेम्स अब सिर्फ खेलने के लिए नहीं
आज जब दुनिया AI, बिग डेटा और साइबर वॉर जैसी चीजों से जूझ रही है, तो ऐसे में Call of Duty: Black Ops II जैसे गेम्स को सिर्फ एक्शन और एंटरटेनमेंट तक सीमित रखना शायद सही नहीं होगा. ये गेम्स कई बार उस सोच की झलक दिखा देते हैं, जो आने वाले समय में हकीकत बन सकती है.