ग्रेजुएशन कोर्स में अप्रेंटिसशिप अनिवार्य, भारतीय ज्ञान प्रणाली (IKS) को भी किया जाएगा शामिल

ग्रेजुएशन कोर्स में अप्रेंटिसशिप अनिवार्य, भारतीय ज्ञान प्रणाली (IKS) को भी किया जाएगा शामिल



<p style="text-align: justify;">विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने उच्च शिक्षा में एक जरूरी बदलाव करते हुए अंडर ग्रेजुएट (UG) छात्रों के लिए अप्रेंटिसशिप को अनिवार्य कर दिया है. साथ ही, ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट (PG) पाठ्यक्रमों में इंडियन नॉलेज सिस्टम (IKS) को शामिल करने का निर्णय लिया गया है. इन बदलावों का मुख्य उद्देश्य छात्रों को इंडस्ट्री के अनुरूप तैयार करना और भारतीय ज्ञान परंपरा को बढ़ावा देना है.</p>
<h3 style="text-align: justify;"><strong>मिलेगा व्यवहारिक अनुभव</strong></h3>
<p style="text-align: justify;">राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के अंतर्गत UGC ने अंडर ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों में अप्रेंटिसशिप को अनिवार्य कर दिया है. इससे छात्रों को इंडस्ट्री में काम करने का प्रैक्टिकल अनुभव होगा, जिससे वे जॉब मार्केट के लिए बेहतर रूप से तैयार होंगे. किसी भी काम में महारत हासिल करने के लिए प्रैक्टिकल अनुभव होना बहुत जरूरी होता है. लिहाजा उच्च शिक्षा संस्थानों (HEI) को इंडस्ट्री की आवश्यकताओं के अनुसार अप्रेंटिसशिप की सीटें निर्धारित करनी होंगी और इनका रजिस्ट्रेशन नेशनल अप्रेंटिसशिप ट्रेनिंग स्कीम (NATS) पोर्टल पर किया जाएगा.</p>
<h3 style="text-align: justify;"><strong>अप्रेंटिसशिप के नए नियम</strong></h3>
<p style="text-align: justify;">तीन वर्षीय डिग्री कार्यक्रम में छात्रों को पहले से तीसरे सेमेस्टर के बीच और चार वर्षीय डिग्री कार्यक्रम में दूसरे से चौथे सेमेस्टर के बीच अप्रेंटिसशिप करनी होगी. आखिरी सेमेस्टर में यह प्रक्रिया अनिवार्य होगी. छात्रों को कुल 10 क्रेडिट स्कोर हासिल करने के लिए कम से कम तीन महीने की अप्रेंटिसशिप करनी होगी. इस पहल से छात्रों को अपने चुने हुए विषय में ग्राउंड रियलिटी का अनुभव मिलेगा और उनके काम में सुधार होगा.</p>
<h3 style="text-align: justify;"><strong>UG-PG में इंडियन नॉलेज सिस्टम (IKS) होगा अनिवार्य</strong></h3>
<p style="text-align: justify;">UGC ने भारतीय ज्ञान प्रणाली (IKS) को बढ़ावा देने के लिए स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में इसे अनिवार्य बनाने का निर्णय लिया है. छात्रों को कुल पाठ्यक्रम क्रेडिट में से 5% क्रेडिट IKS से अर्जित करने होंगे, जबकि 50% क्रेडिट मुख्य विषयों से प्राप्त किए जाएंगे. इसके अंतर्गत छात्रों को वेद, पुराण, योग, आयुर्वेद, ज्योतिष और पारंपरिक भारतीय ज्ञान प्रणाली से अवगत कराया जाएगा. इस पहल का उद्देश्य छात्रों को भारतीय संस्कृति और वैज्ञानिक धरोहर से जोड़ना है, जिससे वे आधुनिक तकनीक के साथ-साथ अपनी सांस्कृतिक जड़ों को भी मजबूत कर सकें.</p>
<h3 style="text-align: justify;"><strong>छात्रों को होगा व्यापक लाभ</strong></h3>
<p style="text-align: justify;">UGC के इस नए फैसले से छात्रों को इंडस्ट्री में काम करने का अनुभव मिलेगा, जिससे उनके करियर के अवसर और बढ़ेंगे वहीं, भारतीय ज्ञान प्रणाली का अध्ययन उन्हें भारत की प्राचीन दार्शनिक और वैज्ञानिक परंपराओं से जोड़ने में मदद करेगा. इससे वे वैश्विक स्तर पर अपनी सांस्कृतिक पहचान बनाए रखते हुए आधुनिक दुनिया की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार होंगे.</p>
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