चारों ओर से मुश्किल में घिरा पाकिस्तान, गहराता जा रहा राजनीतिक संकट

चारों ओर से मुश्किल में घिरा पाकिस्तान, गहराता जा रहा राजनीतिक संकट


Pakistan in Trouble : पाकिस्तान की मुश्किलें खत्म होने का नाम नहीं ले रहीं हैं. पाकिस्तान में एक बार फिर से राजनीतिक अस्थिरता की स्थिति बनती दिखाई दे रही है. राजधानी इस्लामाबाद में लॉकडाउन, पूरे शहर को छावनी बदल देना और स्थिति नियंत्रण करने के लिए शूट एट साइट का आदेश से ये साफ है कि अब हालात काबू से बाहर होते जा रहे हैं.

पाकिस्तान में कैसे बिगड़ी राजनीतिक स्थिति?

पाकिस्तान में तहरीक-ए-इंसाफ के समर्थकों का मानना है कि पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ धोखा हुआ है. सबसे पहले साल 2022 में अविश्वास प्रस्ताव के जरिए उन्हें सत्ता से बाहर करना और फिर सैकड़ों केस बनाकर उन्हें जेल में डाल दिया गया. पार्टी का सिंबल छीन लिया गया और इस साल फरवरी में हुए चुनाव में शामिल भी नहीं होने दिया गया. इमरान खान और उनकी पार्टी पीटीआई ने आरोप लगाया है कि सेना की शह पर जनता के मत को लूटा गया है. इसलिए पीटीआई की मांग है कि इमरान खान को रिहा किया जाए और चुनाव के सही नतीजों की घोषणा की जाए.

मानवाधिकार उल्लंघन का लगाया जा रहा आरोप

कई मीडिया संस्थानों का दावा है कि इस्लामाबाद में हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान सुरक्षाकर्मियों ने भीड़ पर गोलियां चलाई थी. जिसमें कई लोगों ने अपनी जान गवां दी. ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइजेशन एमनेस्टी इंटरनेशनल के साथ अमेरिका ने भी पाकिस्तान में मानवाधिकार उल्लंघन को लेकर चिंता जाहिर की है.

बलूचिस्तान में बढ़ रहा असंतोष

पाकिस्तान के बलूचिस्तान में भी लगातार असंतोष बढ़ रहा है. हाल ही में वहां सुरक्षाकर्मियों, चाइनीज नागरिकों और गैर-बलोच लोगों पर हमले किए गए. भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के बाद से ही आजादी की मांग कर रहे बलूचिस्तान के मामलों को पाकिस्तान की किसी भी सरकार ने ठीक से नहीं संभाला है. ऐसे में अब देश की राजधानी में ही एक नए फ्रंट का खुलना पाकिस्तान के लिए बुरी खबर है.

आर्थिक बोझ के नीचे दब रहा पाकिस्तान

पाकिस्तान के वित्त मंत्री मोहम्मद औरंगजेब के मुताबिक, पाकिस्तान में विरोध-प्रदर्शनों की कारण प्रतिदिन करीब 518 मिलियन डॉलर का नुकसान हो रहा है. ऐसे में जो देश कर्ज के सहारे चल रहा हो, उसके लिए यह रकम बहुत ज्यादा बड़ी है. IMF की इस साल अक्टूबर की रिपोर्ट के मुताबिक, आईएमएफ ने इस्लामाबाद को कड़े आर्थिक सुधार की शर्तों के साथ 7 बिलियन डॉलर का नया लोन देने का वादा किया है. ऐसे में अब आर्थिक समस्या के अलावा राजनीतिक अस्थिरता से पाकिस्तान में और मुश्किल हो सकती है.

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