‘चीनी सैटेलाइट फोन ऑन करते ही’, पहलगाम के गुनहगारों की इस गलती ने उन्हें पहुंचाया जहन्नुम

‘चीनी सैटेलाइट फोन ऑन करते ही’, पहलगाम के गुनहगारों की इस गलती ने उन्हें पहुंचाया जहन्नुम


ऑपरेशन महादेव के तहत श्रीनगर के करीब दाचिगाम के जंगलों में मारे गए तीनों आतंकियों की पहचान का खुलासा खुद गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में किया. साथ ही इस बात का खुलासा भी किया कि तीनों ही आतंकी पहलगाम नरसंहार में सीधे तौर से शामिल थे. आतंकियों के कब्जे से बरामद हुए हथियारों की फॉरेंसिक जांच में इस बात की पुष्टि हुई है. तीन महीने (96 दिन) बाद पहलगाम के दरिंदों को सुरक्षाबलों ने कैसे इंटरसेप्ट किया, उसके पीछे की कहानी भी सामने आ गई है.

जानकारी के मुताबिक, 26 जुलाई यानी शनिवार को आतंकियों ने दाचीगाम नेशनल पार्क की महादेव चोटी (पहाड़ी) पर अपने सैटेलाइट फोन को ऑन किया था. इस फोन के ऑन होते ही सुरक्षाबल अलर्ट हो गए और सेना की पैरा-एसएफ (स्पेशल फोर्सेज) को मिशन के लिए खासतौर से जंगलों की तरफ रवाना कर दिया गया. करीब 48 घंटे की कॉम्बिंग के बाद 4 पैरा-एसएफ यूनिट के कमांडो, लिडवास और महादेव चोटियों के करीब पहुंच गए, जहां आतंकी एक मेक-शिफ्ट कैंप में रह रहे थे.

सुरक्षाबलों ने क्या-क्या बरामद किया ?
करीब छह घंटे चली मुठभेड़ में आतंकियों को ढेर करने के बाद सुरक्षाबलों ने हथियारों और गोला-बारूद के साथ ही उस सैटेलाइट फोन को भी बरामद किया, जिसका इस्तेमाल शनिवार को किया गया था. जानकारी के मुताबिक, ये एक चीनी सैटेलाइट फोन था, जिसके जरिए आतंकी, सीमा-पार (पाकिस्तान) में अपने आकाओं को मैसेज करने के लिए भी इस्तेमाल करते थे.

22 अप्रैल को पहलगाम की बैसरण घाटी में मासूम पर्यटकों का नरसंहार करने के बाद ही आतंकी जंगलों में छिपे हुए थे. आतंकियों ने बैसरन घाटी से जंगलों और पहाड़ों के रास्ते महादेव (दाचिगाम) पहुंचे थे. जानकारी ये भी मिली है कि दो हफ्ते पहले भी आतंकियों ने एक बार अपने सैटेलाइट फोन को ऑन किया था. तभी से इंटेलिजेंस एजेंसियां और सुरक्षाबल आतंकियों को जंगलों में तलाश रहे थे. इसके लिये पहलगाम और दाचिगाम के बीच जंगलों और पहाड़ों में थर्मल इमेजिंग ड्रोन्स, सैटेलाइट ट्रैकिंग, सिग्नल इंटरसेप्शन और ह्यूमन इंटेलिजेंस का सहारा लिया जा रहा था.

चरवाहों ने सुरक्षाबलों को किया था अलर्ट  
पहली बार पहलगाम के जंगलों के करीब 22 मई को आतंकियों की मूवमेंट देखी गई थी. उस वक्त जंगल में रहने वाले चरवाहों ने सुरक्षाबलों को अलर्ट किया था, लेकिन इससे पहले की सुरक्षाबल उन्हें ट्रैक कर पाते, आतंकी वहां से जंगल के रास्ते निकल गए. खुद गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को लोकसभा में बताया था कि आतंकियों की लोकेशन पहली बार 22 मई को पता चली थी.

पाकिस्तानी नागरिक के रूप में हुई आतंकियों की पहचान
मारे गए आतंकियों की पहचान सुलेमान शाह, जिब्रान भाई और अबू हमजा उर्फ हमजा अफगानी के तौर पर हुई है. तीनों ही पाकिस्तानी नागरिक हैं. अमित शाह ने संसद को बताया था कि दो आतंकियों के तो पहचान-पत्र नंबर तक देश की इंटेलिजेंस एजेंसियों के पास मौजूद हैं. भारतीय सेना की चिनार कोर के मुताबिक, आतंकियों को मार गिराने में पैरा-एसएफ यूनिट के अलावा जम्मू कश्मीर पुलिस और सीआरपीएफ भी शामिल थी.

आतंकियों के कब्जे से दो (02) एके-47 राइफल और एक (01) एम-4 राइफल के अलावा भारी मात्रा में हैंड ग्रेनेड, मैगजीन और दूसरा वॉर-स्टोर बरामद हुआ है. आतंकी जिस पॉलीथीन के बने टेंट में छिपे हुए थे, वहां से खाने-पीने का सामान और प्लेट इत्यादि बर्तन भी बरामद हुए हैं. ऐसा लगता है कि कई दिनों से आतंकी इस जगह छिपे हुए थे.

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