चीन और अमेरिका में छिड़ सकती है जंग! जानें क्यों एशिया पर मंडराने लगे युद्ध के बादल

चीन और अमेरिका में छिड़ सकती है जंग! जानें क्यों एशिया पर मंडराने लगे युद्ध के बादल


US Deploys Satellite Jammers: अमेरिका और चीन के बीच राजनीतिक, सैन्य, और आर्थिक मोर्चों पर लगातार बढ़ते तनाव के बाद अब अंतरिक्ष में भी दोनों के बीच खींचतान जारी है. अब अमेरिकी स्पेस फोर्स के जरिए एक नया कदम उठाया है, जिसके तहत भारत-प्रशांत क्षेत्र में चीन के सैटलाइट के संचार को बाधित करने के लिए जैमर्स तैनात किए जाएंगे.

इस कदम के जरिए अमेरिका चीन के बढ़ते सैटेलाइट नेटवर्क,खासकर उसके याओगन सीरीज सैटेलाइट को निशाना बनाएगा, जो कथित तौर पर लगातार अमेरिका और उसके सहयोगियों की सैन्य गतिविधियों पर निगरानी रख रहे हैं. इन जैमर्स का मकसद चीन के सैटलाइट से आने वाली जानकारी को नष्ट करना है, जिससे चीन की निगरानी क्षमता में कमी आएगी.

चीन के सैटेलाइट नेटवर्क पर सीधा हमला

चीन के याओगन सीरीज सैटेलाइट, जो कि काफी सटीकता के साथ छोटे से छोटे टारगेट, जैसे कि कारों को भी ट्रैक कर सकते हैं. इस सैटेलाइट ने अमेरिका और उसके सहयोगियों के लिए एक नई सुरक्षा चुनौती खड़ी कर दी है. यह सैटेलाइट भारत-प्रशांत क्षेत्र में लगातार निगरानी करते हैं. अमेरिका इस वजह ही अपनी सैन्य गतिविधियों के लिए खतरनाक मानता है. इस संदर्भ में, अमेरिका की स्पेस फोर्स के अधिकारियों ने हाल ही में फ्लोरिडा में आयोजित स्पेसपावर सम्मेलन में इस मुद्दे पर चिंता जताई थी.

इलेक्ट्रॉनिक जंग की आशंका

साउथ चाइना मॉनिंग पोस्ट के मुताबिक, अंतरिक्ष सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि अगर अमेरिका यह जैमर्स तैनात करता है तो चीन जैमेर्स को विकसित करेगा, जिससे एक इलेक्ट्रॉनिक जंग की स्थिति पैदा हो सकती है. जैसे कि रूस ने यूक्रेन जंग में स्टारलिंक सैटेलाइटों को जैम करने की कोशिश की थी.  वैसे ही चीन भी अमेरिका के जैमर्स को निशाना बनाने के लिए एंटी-रडार मिसाइलें और ड्रोन तैनात कर सकता है. यही नहीं, चीन अपनी काउंटर-ईडब्ल्यू क्षमताओं का भी विस्तार कर रहा है, जिससे भविष्य में एक नई तरह की सैन्य प्रतिस्पर्धा का जन्म हो सकता है.

भविष्य के लिए योजना और चीन का विरोध

अंतरिक्ष सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका और चीन के बीच बढ़ती अंतरिक्ष प्रतिद्वंद्विता का सीधा प्रभाव उनके भविष्य के सैन्य अभियानों पर पड़ेगा. चीन की अंतरिक्ष क्षमताओं का विकास तेजी से हो रहा है और इसका मुकाबला करने के लिए अमेरिका को अपनी अंतरिक्ष सेना की भूमिका को और बढ़ाना होगा.

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