चीन का अमेरिका पर एक और प्रहार, 84% टैरिफ के बाद 18 अमेरिकी कंपनियों पर लिया कड़ा एक्शन

चीन का अमेरिका पर एक और प्रहार, 84% टैरिफ के बाद 18 अमेरिकी कंपनियों पर लिया कड़ा एक्शन


US China Trade War: डोनाल्ड ट्रंप के 104 फीसदी टैरिफ के जवाब में बिजिंग ने अमेरिका पर 84 फीसदी का टैरिफ लगा दिया है. अभी अमेरिका चीन के इस वार से संभला भी नहीं था कि शी जिनपिंग की सरकार ने अमेरिका की 18 कंपनियों पर कड़ा एक्शन ले लिया है. चीन की सरकार ने बुधवार को अमेरिका की 12 कंपनियों को अपनी एक्सपोर्ट कंट्रोल लिस्ट में डाला और 6 अमेरिकी कंपनियों को “अविश्वसनीय संस्थाओं” (Unreliable Entity List) की लिस्ट में शामिल करने का ऐलान कर दिया.

चीन ने ऐसा क्यों किया

ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने इस पर कहा कि इन कंपनियों पर आरोप है कि उन्होंने ताइवान को हथियार बेचे या फिर वहां के साथ सैन्य तकनीकी सहयोग किया. यही वजह है कि इन 6 अमेरिकी कंपनियों को “अविश्वसनीय संस्थाओं” की लिस्ट में शामिल किया गया है.

कौन-कौन सी हैं ये कंपनियां 

Shield AI, Inc.

Sierra Nevada Corporation

Cyberlux Corporation

Edge Autonomy Operations LLC

Group W

Hudson Technologies Co

चीन ने इस पर क्या कहा?

चीन के वाणिज्य मंत्रालय (MOFCOM) के प्रवक्ता ने कहा कि ये कंपनियां चीन के विरोध के बावजूद ताइवान को हथियार बेच रही हैं, जिससे चीन की संप्रभुता और सुरक्षा को खतरा पहुंच रहा है. उन्होंने कहा, “चीन इन कंपनियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेगा.”

इसके अलावा, चीन के वाणिज्य मंत्रालय के प्रवक्ता ने यह भी स्पष्ट किया कि चीन ने हमेशा “अविश्वसनीय संस्थाओं” की लिस्ट को सोच-समझकर इस्तेमाल किया है और केवल उन्हीं विदेशी कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की है जो चीन की राष्ट्रीय सुरक्षा को नुकसान पहुंचाती हैं.

उन्होंने कहा, “जो विदेशी कंपनियां कानून का पालन करती हैं, उन्हें चिंता करने की जरूरत नहीं है. चीन की सरकार दुनिया भर की कंपनियों का स्वागत करती है और उन्हें यहां निवेश व व्यापार के लिए स्थिर व निष्पक्ष माहौल देने के लिए प्रतिबद्ध है.”

क्या है पूरा मामला?

दरअसल, चीन ताइवान को अपना अभिन्न अंग मानता है और किसी भी देश द्वारा वहां सैन्य सहयोग या हथियार बेचने को अपनी सुरक्षा के लिए खतरा मानता है. अमेरिका समेत कई देश ताइवान को सैन्य सहायता देते रहे हैं, जिस पर चीन बार-बार आपत्ति जता चुका है. अब “अविश्वसनीय सूची” में शामिल होने के बाद इन कंपनियों को चीन में व्यापार करने में कानूनी पाबंदियों का सामना करना पड़ सकता है.

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