चीन ने बुधवार (3rसितंबर 2025) को भव्य विक्ट्री परेड का आयोजन किया, जिसे पूरी दुनिया ने देखा. इस परेड की मदद से चीन ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी ताकत का प्रदर्शन किया. इस खास मौके पर राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने रूस के व्लादिमीर पुतिन और उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन के साथ मंच साझा किया. इस परेड में हाइपरसोनिक मिसाइलें, लेजर हथियार और पानी के नीचे चलने वाले ड्रोन जैसा अत्याधुनिक हथियार भी शामिल था. यह नजारा न केवल चीन की तकनीकी प्रगति को दर्शा रहा है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसकी सुरक्षा नीतियों का भी संकेत दे रहा है. यह प्रदर्शन अमेरिका और पश्चिमी देशों के लिए सीधा संदेश है कि चीन अब वैश्विक शक्ति संतुलन का अहम हिस्सा है.
चीन की विक्ट्री परेड में सबसे अधिक चर्चा का केंद्र रही F-5C लिक्विड फ्यूल वाली Intercontinental Strategic परमाणु मिसाइल. चीन का दावा है कि यह मिसाइल दुनिया के किसी भी कोने में जाकर हमला कर सकती है. इसकी मारक क्षमता 20,000 किलोमीटर है. ये द्वितीय विश्व युद्ध में जापान पर गिराए गए परमाणु बम से 200 गुना ज़्यादा शक्तिशाली है. ये बेहद कम समय में लॉन्च किया जा सकता है. चीनी विशेषज्ञ प्रोफेसर यांग चेंगजुन के अनुसार इस मिसाइल को तीन हिस्सों में बांटकर अलग-अलग वाहनों में ले जाया जा सकता है. इससे न केवल परिवहन आसान हो जाता है, बल्कि किसी भी स्थिति में तैनात किया जा सकता है. यह विशेषता F-5C को दुनिया की सबसे खतरनाक सामरिक मिसाइलों में से एक बनाती है.
F-5C मिसाइल की खास बातें
F-5C मिसाइल की खासियत के बारे में बात करें तो इसमें मुख्य रूप से 6 ऐसी चीजें हैं, जो इसे बेहद ही खतरनाक बनाती हैं.
- F-5C मिसाइल की रेंज 20,000 किलोमीटर है.
- F-5C मिसाइल कम समय में लॉन्च की जा सकती है.
- F-5C मिसाइल सीरीज पर आधारित है, जो इसे अलग-अलग तरीकों से लॉन्च करने में सक्षम बनाती है.
- F-5C मिसाइल MIRV को ले जा सकती है, जो पारंपरिक या परमाणु पेलोड से लैस हो सकते हैं.
- F-5C मिसाइल में स्टारलाइट गाइडेंस समेत बेहद सटीक नेविगेशन सिस्टम मौजूद है, जो इसे बेहद घातक हथियार बनाता है.
इन सभी विशेषताओं से यह साफ होता है कि F-5C केवल एक हथियार नहीं, बल्कि चीन की सामरिक शक्ति का प्रतीक है.
वैश्विक सुरक्षा पर असर
चीन की इस परेड ने वैश्विक सुरक्षा विशेषज्ञों को सोचने पर मजबूर कर दिया है. हाइपरसोनिक मिसाइलें और F-5C जैसी सामरिक क्षमताएं न केवल एशिया में बल्कि पूरी दुनिया में शक्ति संतुलन को प्रभावित कर सकती हैं. विशेषज्ञ मानते हैं कि यह परेड चीन की उस नीति को उजागर करती है, जिसमें वह बाहरी खतरों का सामना करने के लिए लगातार नई तकनीक विकसित कर रहा है. इससे यह भी संकेत मिलता है कि भविष्य में चीन न केवल एशिया-प्रशांत क्षेत्र में बल्कि वैश्विक स्तर पर भी निर्णायक भूमिका निभाएगा.