चीन के कार मार्केट में मची उथल-पुथल से भारत को होगा बड़ा फायदा, जानें क्या है मामला?

चीन के कार मार्केट में मची उथल-पुथल से भारत को होगा बड़ा फायदा, जानें क्या है मामला?


China Auto Market: चीन के ऑटो सेक्टर की हालत पस्त हो गई है, जब से चीन की सबसे बड़ी इलेक्ट्रिक वाहन कंपनी BYD ने कीमत में भारी कटौती करने का फैसला लिया. कंपनी ने अपने 22 मॉडलों की कीमतों में 34 परसेंट की कटौती की है. इसमें  इलेक्ट्रिक कार सीगल भी शामिल है, जिसकी कीमत अब 7,700 डॉलर है. कंपनी का यह प्रोमोशन जून तक चलने वाला है, लेकिन यह मार्केटिंग कैम्पेन दूसरी कंपनियों के लिए चुनौती बन गई है क्योंकि अब इस रेस में आगे बढ़ने के लिए दूसरी ऑटो कंपनियों को भी डिस्काउंट्स का सहारा लेना पड़ सकता है, जिससे ऑटो सेक्टर में भारी गिरावट आ सकती है. 

मार्जिन नहीं, वॉल्यूम पर कंपनी का फोकस

अभी सोमवार को ही BYD के शेयरों में 8 परसेंट से अधिक की गिरावट आई. दूसरी EV कंपनियों के शेयरों में भी गिरावट दर्ज की गई. मार्केट के जानकारों का मानना है कि BYD का टारगेट 2025 में 5.5 लाख गाड़ियों की बिक्री करना है, जो पिछले साल के मुकाबले 30 परसेंट ज्यादा है. अमेरिकी विश्‍लेषक फर्म मॉर्निंगस्टार विंसेंट सन का कहना है कि कंपनी को मार्जिन की नहीं, वॉल्यूम की फिक्र है.

अब यह प्राइस वॉर धीरे-धीरे पूरे सेक्टर में फैल चुका है. गीली, लीपमोटर जैसी दूसरी कंपनियां भी अब अपने मॉडल्स की कीमतें कम कर रही हैं. एक्सपर्ट्स का मानना है कि ये प्राइस वॉर भले ही कम समय के लिए होते हैं, लेकिन समय के साथ यह ब्रांड वैल्यू को कमजोर कर सकता है और कमजोर बैलेंस शीट वाले रेस से बाहर भी हो सकते हैं क्योंकि हर कंपनी नुकसान को झेल नहीं सकती है.  हैटोंग के ऑस्कर वांग ने चेतावनी दी कि अगर स्थिति पर काबू पाने के लिए कोई प्रयास नहीं किया जाता, तो 2025 की दूसरी छमाही में लागत में भारी नुकसान होने की पूरी संभावना है. 

घाटे में जा रही हैं कंपनियां 

इस बीच, हांगकांग शेयर मार्केट में लिस्टेड गीली ऑटो के शेयरों में 9.5 परसेंट, नियो और लीपमोटर के शेयरों में क्रमश: 3 परसेंट और 8.5 परसेंट तक की गिरावट आई. चीन में बढ़ती प्रतिस्पर्धा और घाटे को देखते हुए कई विदेशी कंपनियां यहां से बाहर दूसरे ग्लोबल मार्केट्स की तलाश में हैं.

इस लिस्ट में भारत भी है, जिसका ऑटो सेक्टर तेजी से आगे बढ़ रहा है. ऐसे में कंपनियां यहां अपना मैन्युफैक्चरिंग बेस या एक्सपोर्ट बेस बसा रही हैं. वहीं, चीन में आलम यह है कि कुछ कंपनियां कारों को लागत से भी कम कीमत पर बेच रही हैं. चीन के बढ़ते इलेक्ट्रिक व्हीकल सेगमेंट में कई स्टार्टअप कंपनियां भी हैं, जिन्हें इस प्राइस वॉर के चलते भारी घाटे का सामना करना पड़ेगा. 

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