भारत में जहां MBBS की पढ़ाई पर 60 से 90 लाख रुपये तक खर्च आ जाता है, वहीं चीन में यही कोर्स केवल 30 से 50 लाख रुपये में हो जाता है.

इस रकम में ट्यूशन फीस, हॉस्टल, खाना और अन्य जरूरी खर्च भी शामिल होते हैं. यानी विदेश से डिग्री लेकर डॉक्टर बनने का सपना अब मिडिल क्लास परिवारों के लिए भी मुमकिन हो गया है.

चीन की मेडिकल यूनिवर्सिटीज की खास बात यह है कि यहां कई कॉलेज इंटरनेशनल छात्रों के लिए अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाई कराते हैं. इससे उन छात्रों को भी आसानी होती है जिन्हें चीनी भाषा नहीं आती. यही नहीं, चीन में रहन-सहन भी भारत के मुकाबले किफायती है. खाने-पीने, ट्रांसपोर्ट और मेडिकल खर्च यहां काफी कम हैं.

MBBS कोर्स की अवधि चीन में छह साल होती है. इसमें पांच साल की क्लासरूम पढ़ाई और एक साल की इंटर्नशिप शामिल होती है. चीन में मेडिकल एजुकेशन की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है. इसके पीछे एक बड़ा कारण वहां मिलने वाली स्कॉलरशिप भी है, जो कई छात्रों को राहत देती है.

चीन में MBBS के लिए अप्लाई करने वाले छात्र की उम्र कम से कम 17 साल होनी चाहिए. साथ ही 12वीं में फिजिक्स, केमिस्ट्री और बायोलॉजी विषयों में 50% अंक जरूरी हैं. इसके अलावा, NEET परीक्षा पास करना भी जरूरी है. मेडिकल फिटनेस सर्टिफिकेट भी मांगा जाता है.

चीन में MBBS के लिए अप्लाई करने वाले छात्र की उम्र कम से कम 17 साल होनी चाहिए. साथ ही 12वीं में फिजिक्स, केमिस्ट्री और बायोलॉजी विषयों में 50% अंक जरूरी हैं. इसके अलावा, NEET परीक्षा पास करना भी जरूरी है. मेडिकल फिटनेस सर्टिफिकेट भी मांगा जाता है.
Published at : 28 Jul 2025 03:26 PM (IST)