अगर आप चीन में पढ़ाई करने का सपना देख रहे हैं या वहां घूमने की योजना बना रहे हैं, तो आपके लिए खुशखबरी है. भारत सरकार ने पांच साल बाद एक बार फिर चीनी नागरिकों को पर्यटक वीजा जारी करने का ऐलान किया है और यह प्रक्रिया 24 जुलाई 2025 से शुरू हो जाएगी.
हालांकि यह फैसला चीनी नागरिकों के लिए है, लेकिन इसका असर उन भारतीय छात्रों और यात्रियों पर भी पड़ेगा जो चीन में शिक्षा या व्यवसाय के सिलसिले में जाना चाहते हैं. भारत-चीन के बीच रिश्तों में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है और इसी का नतीजा है कि अब दोनों देशों के बीच यात्रा और शिक्षा के दरवाजे दोबारा खुल रहे हैं.
मार्च 2020 में कोविड-19 की शुरुआत के बाद भारत सरकार ने सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सभी पर्यटक वीजा अस्थायी रूप से रोक दिए थे. इसके बाद जून 2020 में गलवान घाटी की घटना ने दोनों देशों के संबंधों को और खराब कर दिया था. करीब 4 साल तक व्यापार और शिक्षा से जुड़ी यात्राओं को छोड़कर अन्य यात्राएं लगभग ठप हो गई थीं.
अब क्या है नया अपडेट?
बीजिंग स्थित भारतीय दूतावास ने जानकारी दी है कि वीजा आवेदन के लिए अब एक नया प्रोटोकॉल अपनाया जाएगा. यदि आप पासपोर्ट वापस लेना चाहते हैं, तो आपको ‘पासपोर्ट विदड्रॉल लेटर’ देना होगा. भारत और चीन के बीच तनाव अब धीरे-धीरे कम हो रहा है. देपसांग, डेमचोक, गलवान और पैंगोंग झील जैसे इलाकों से सेनाएं पीछे हट चुकी हैं. अक्टूबर 2024 में दोनों देशों के नेताओं की रूस में मुलाकात के बाद यह फैसला लिया गया कि लोगों के बीच संपर्क बढ़ाने के लिए सीधी उड़ानें और धार्मिक यात्राएं फिर शुरू की जाएंगी.
इंटरव्यू में पूछे जाएंगे ये अहम सवाल
आपने चीन में ही पढ़ाई का फैसला क्यों किया?
आपकी पढ़ाई का खर्च कौन उठाएगा?
क्या आपने कोर्स की फीस पहले ही जमा की है?
कोर्स पूरा करने के बाद आपकी योजना क्या है?
इन सवालों का जवाब आत्मविश्वास से दें और दस्तावेज पूरे रखें.
बैंक बैलेंस कितना जरूरी है?
चीन में एक साल की पढ़ाई के लिए बैंक में कम से कम 40,000-60,000 युआन (लगभग 4 से 6 लाख रुपये) दिखाना जरूरी है. यह रकम आपके रहने, खाने और पढ़ाई से जुड़े खर्चों को कवर करने के लिए पर्याप्त मानी जाती है.
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