अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने अपने ट्रेड पॉलिसी पर सख्त रुख अपनाते हुए मैक्सिको और कनाडा से होने वाले इंपोर्ट पर 25 फीसदी टैरिफ लगाने की पुष्टि कर दी है. इसके अलावा, चीन पर भी अतिरिक्त 10 फीसदी टैरिफ लगा दिया गया है, जिससे व्यापारिक तनाव और बढ़ गया है.
ट्रंप प्रशासन ने पहले ही स्टील और एल्यूमिनियम जैसे कई उत्पादों पर 25 फीसदी तक का टैरिफ लगा दिया था. अब नए टैरिफ से 918 बिलियन डॉलर के इंपोर्ट प्रभावित होंगे. इस फैसले के बाद ग्लोबल मार्केट में तेज़ गिरावट देखी गई है. ट्रंप ने यह भी संकेत दिया है कि अमेरिका जल्द ही यूरोपीय यूनियन (EU), ऑटोमोबाइल, फार्मास्युटिकल और सेमीकंडक्टर के इंपोर्ट पर भी टैरिफ लगा सकता है.
भारत भी हो सकता है प्रभावित
अमेरिकी राष्ट्रपति ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में अमेरिकी किसानों से घरेलू बाज़ार में अधिक उत्पादन करने को कहा है. उन्होंने साफ किया कि 2 अप्रैल से आयातित उत्पादों पर भारी टैरिफ लगाया जाएगा. इसी बीच अमेरिका, भारत पर कृषि उत्पादों पर टैरिफ घटाने का दबाव बढ़ रहा है. हालांकि, भारत ने तर्क दिया है कि ऐसा करने से करोड़ों गरीब किसानों की आजीविका पर असर पड़ेगा. हाल ही में, ट्रेड टेंशन के बीच केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल अमेरिका दौरे पर हैं. खबरों के मुताबिक, वे अमेरिका के संभावित रिसीप्रोकल टैरिफ को लेकर बातचीत कर सकते हैं.
भारत पर टैरिफ का असर किन सेक्टर्स पर पड़ेगा?
द मिंट की रिपोर्ट के अनुसार, अगर ट्रंप प्रशासन भारत पर कड़े टैरिफ लगाता है, तो ये तीन क्षेत्र सबसे ज्यादा प्रभावित हो सकते हैं. इसमें पहला सेक्टर पेट्रोकेमिकल्स और फार्मास्युटिकल होगा. ये भारत के प्रमुख निर्यात सेक्टर हैं और अमेरिका में इनकी बड़ी मांग है. दूसरा सेक्टर है इलेक्ट्रॉनिक्स और मेडिकल उपकरण. इन पर अतिरिक्त टैरिफ लगाने से भारत के निर्यात पर असर पड़ेगा. वहीं, तीसरा सेक्टर है ऑटोमोबाइल और EV सेक्टर. भारत की नई EV नीति टेस्ला जैसी कंपनियों को आकर्षित करने के लिए बनाई जा रही है, लेकिन अमेरिकी टैरिफ से इस योजना को झटका लग सकता है.
भारत को कितना नुकसान होगा?
भारत का अमेरिका के साथ व्यापार सरप्लस (Trade Surplus) 35 बिलियन डॉलर तक पहुंच चुका है, जो भारत की जीडीपी का 1 फीसदी है. अगर टैरिफ बढ़ता है, तो यह सरप्लस कम हो सकता है, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था पर दबाव पड़ेगा. हालांकि, S&P ग्लोबल रेटिंग्स का कहना है कि भारत की अर्थव्यवस्था घरेलू मांग पर आधारित है, इसलिए टैरिफ का प्रभाव सीमित रहेगा. लेकिन अगर अमेरिका ने सख्त कदम उठाए, तो भारत को भी जवाबी कार्रवाई करनी पड़ सकती है.
ये भी पढ़ें: चीन ने दिया डोनाल्ड ट्रंप को करारा जवाब, अब अमेरिका को भारी पड़ेगा ड्रैगन का टैरिफ