जनजातीय समुदाय के लिए बनी है एक विशेष यूनिवर्सिटी, जानिए कैसे मिलता है एडमिशन और कितनी है फीस

जनजातीय समुदाय के लिए बनी है एक विशेष यूनिवर्सिटी, जानिए कैसे मिलता है एडमिशन और कितनी है फीस


इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय (IGNTU) की स्थापना 2 अक्टूबर 2008 को मध्य प्रदेश के अमरकंटक में की गई थी. यह विश्वविद्यालय जनजातीय समुदाय की शिक्षा और विकास पर विशेष ध्यान देता है. संस्थान का मुख्य उद्देश्य आदिवासी युवाओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना और उनके सामाजिक-आर्थिक उत्थान में योगदान देना है.

इस तरह से यूनिवर्सिटी में होता है एडमिशन

विश्वविद्यालय में एडमिशन के लिए छात्रों को बैचलर्स व मास्टर्स दोनों पाठ्यक्रम में प्रवेश हेतु सीयूईटी (कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट) का एग्जाम देना होता है. इस एग्जाम में प्राप्त नंबर्स के आधार पर ही एडमिशन दिया जाता है. CUET एग्जाम में प्राप्त नंबर्स के आधार पर मेरिट सूची तैयार की जाती है. 

यूनिवर्सिटी में इन कोर्स में मिलता है एडमिशन, ये है फीस  

विश्वविद्यालय में कई आकर्षक कोर्स उपलब्ध हैं:

  • बी.ए. (5,000-10,000 रुपये प्रति वर्ष)
  • एम.ए. (7,000-15,000 रुपये प्रति वर्ष)
  • बी.एससी. (6,000-12,000 रुपये प्रति वर्ष)
  • एम.एससी. (8,000-16,000 रुपये प्रति वर्ष)
  • बी.एड. (10,000-20,000 रुपये प्रति वर्ष)
  • पीएचडी कार्यक्रम (20,000- 25,000 रुपये प्रति वर्ष)
  • बी. फार्मा/डी. फार्मा (10,000- 15,000 रुपये प्रति वर्ष)

कई मशहूर हस्तियों ने इस यूनिवर्सिटी से की है पढ़ाई 

कई प्रतिभाशाली छात्रों ने इस विश्वविद्यालय से अपनी शिक्षा पूरी की जिनमें राजेश कुमार टेकाम जोकि प्रसिद्ध आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता हैं. डॉ. मीना तिर्की जोकि जनजातीय स्वास्थ्य अनुसंधान में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. संजय दुबे जोकि पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में काम करने वाले प्रसिद्ध शोधकर्ता मुख्य हैं. विश्वविद्यालय आदिवासी संस्कृति और शिक्षा के संरक्षण के लिए कई विशेष कार्यक्रम चलाता है जिनमें आदिवासी भाषाओं का अध्ययन,पारंपरिक ज्ञान और कौशल पर शोध,सामुदायिक विकास कार्यक्रम जैसी पहलें शामिल हैं

यह विश्वविद्यालय न केवल शिक्षा प्रदान कर रहा है, बल्कि आदिवासी समुदाय के सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. आदिवासी लोग सांस्कृतिक विरासत और कला व शिल्प कौशल में समृद्ध होते हैं, लेकिन उच्च शिक्षा के साथ-साथ जीवन के अन्य क्षेत्रों में भी वे हाशिए पर हैं. अब वैश्वीकरण के वर्तमान युग में उनकी दुनिया एक गांव में सिमट गई है क्योंकि समाज प्रौद्योगिकी में आगे बढ़ गया है. लेकिन जनजातियां, जो वास्तविक अर्थों में भारतीय संस्कृति की संरक्षक हैं, उन्नति की इस दौड़ में बहुत पीछे हैं. एडमिशन और फीस से जुड़ी अन्य ताजा जानकारी के लिए विश्वविद्यालय की वेबसाइट www.igntu.ac.in देख सकते हैं.

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